विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के सूत्रधार बिहार के सीएम नीतीश कुमार को कहा जाए तो गलत नहीं होगा। लेकिन इसके बाद भी उनके पाला बदलने की चर्चा समय-समय पर तेज हो जाती है। भाजपा से उनकी नजदीकियों की ख़बरें भी सुर्खियाँ बटोरने लगती है। इन दिनों भी भाजपा को लेकर नीतीश कुमार का रुख थोड़ा सॉफ्ट होता हुआ दिख रहा है। पहले G20 को लेकर राष्ट्रपति द्वारा आयोजित डिनर में सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वाली तस्वीर का आना। वही आज प. दिनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल होना नीतीश कुमार के सॉफ्ट रुख को दिखा रहा है। जिसके बाद नीतीश कुमार के NDA में शामिल होने को लेकर भी चर्चाएँ हो रही हैं। लेकिन भाजपा नेताओं ने साफ कहा है कि नीतीश कुमार के लिए उनका दरवाजा बंद है।
“नीतीश के लिए दरवाजे बंद”
NDA के साथ नीतीश कुमार के आने वाले कयासों को भाजपा नेताओं ने सिरे से खारिज किया है। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश बोझ बताया हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार नहीं बल्कि कई बार स्पष्ट किया है कि नीतीश कुमार अब अगर नाक भी रगड़ लें तो भी बीजेपी का दरवाजा उनके लिए बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नीतीश कुमार को साथ क्यों लेगी, उनमें अब बचा क्या है? नीतीश कुमार में अब दो वोट भी ट्रांसफर करने की क्षमता नहीं है।
“राजनीतिक बोझ हैं नीतीश”
सुशील मोदी ने आगे कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कुछ ही सीट पर सिमट गई थी। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जदयू के लिए प्रचार नहीं किया होता तो वो भी नहीं आती। चाहे राजद हो या कांग्रेस नीतीश कुमार तो अब एक राजनीतिक बोझ हो चुके हैं और भाजपा किसी बोझ को क्यों अपने सिर पर ढोने का काम करेगी? भाजपा को नीतीश की कोई जरूरत नहीं है। भाजपा अपने और अपने सहयोगियों के बलबूते लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनावों में शानदार जीत दर्ज करेंगी।