बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा स्नातक स्तरीय प्रारंभिक परीक्षा (सचिवालय) के रिजल्ट में घोर अनियमितता बरती गई है। रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद से छात्रों के बीच आक्रोश का भाव है। छात्र नेता सौरव कुमार ने कहा कि 5 मार्च को आयोजित हुई परीक्षा में सिर्फ 2600 परीक्षार्थियों का ही रिजल्ट दिया गया, जबकि 23 दिसंबर की दूसरी पाली और 24 दिसंबर की पाली का रिजल्ट मिलाकर कुल 9000 रहा। 23 दिसंबर 2022 के प्रथम पाली की परीक्षा पेपर लीक के कारण रद्द हुई थी। जिसके बाद दोबारा परीक्षा 5 मार्च 2023 को आयोजित हुई।
बराबर-बराबर रिजल्ट प्रकाशित करना चाहिए
सौरव कुमार ने कहा कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अनुसार रिजल्ट परसेंटाइल सिस्टम से प्रकाशित किया गया है। ऐसे में तीनों शिफ्ट मिलाकर बराबर-बराबर रिजल्ट प्रकाशित करना चाहिए, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ है। सौरव कुमार सिंह ने कहा कि क्वेश्चन बुकलेट देना, ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी देना, कट ऑफ बताना तथा छात्रों का मार्क्स बताना इत्यादि प्रमुख मांग रही है। पर बिहार कर्मचारी चयन आयोग कभी भी इन मांगों को गंभीरता से नहीं लिया। यह कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है। छात्र नेता सौरव कुमार सिंह कहां ने कहा कि जल्द से जल्द बैठक कर इन प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन तेज किया जाएगा।