आज बिहार अपने समृद्ध इतिहास को समेटे 111 साल का हो गया। 1912 में आज के दिन ही बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर बिहार एक अलग, एक स्वतंत्र राज्य बना था। इसका इतिहास गौरवान्वित करने वाला है। राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं की वजह से बिहार की स्थिति भले ही अब दयनीय है। लेकिन इसका उज्ज्वल अतीत बिहारियों को उत्साहित करता है।
22 मार्च 1912 को बिहार नया प्रांत बना
ब्रिटिश राज के दौरान बिहार अलग राज्य न होकर बंगाल का हिस्सा था। लंबी मांग के बाद ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में बिहार (आज के ओडिशा और झारखंड) को बंगाल से विभाजित कर एक राज्य बनाने की घोषणा की। तब 22 मार्च 1912 को बिहार को बंगाल से अलग कर एक नया प्रांत बनाया गया था। बाद में 1935 में ओडिशा (उस वक्त उड़ीसा) को बिहार से अलग एक नए प्रांत का दर्जा दिया गया। फिर 15 नवंबर 2000 को बिहार के दक्षिण हिस्से को अलग कर झारखंड के तौर पर एक नया राज्य बनाया गया।
भगवान बुद्ध की धरती है बिहार
बिहार के उत्तर में नेपाल, पूरब में बंगाल, पश्चिम में यूपी और और दक्षिण में झारखण्ड जो कभी बिहार का हिस्सा हुआ करता है से घिरा हुआ है। बिहार के ज्यादातर बड़े शहर गंगा किनारे बसे हैं। बिहार की राजधानी पटना भी उसमें एक है। बिहार में हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, उर्दू, मगही, अंगिका बोली जाती है। क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार देश का 12 और जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा बड़ा राज्य है। सिविल सर्विस और बड़ी संख्या में IIT इंजीनियर देने वाला बिहार कभी शिक्षा के क्षेत्र में लीडर की भूमिका में था। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार में ही था। रामायण के रचियता वाल्मिकी भी यहीं प्रवास करते थे। भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति भी बिहार में ही हुआ था।