10 दिसंबर को पारसनाथ में देश भर के आदिवासियों का होगा महाजुटान
RANCHI : आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष के द्वारा राजधानी रांची के मोराबादी मैदान में प्रेस वार्ता संबोधित किया गया। प्रेस वार्ता के माध्यम से सरना धर्म कोड विषय पर अपना मंतव्य रखा। अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग विगत कई वर्षों से लगातार आदिवासी समुदाय के द्वारा संवैधानिक रूप से की जाती आ रही है और इसे लेकर आदिवासी समुदाय के सामाजिक संस्थाओं के द्वारा भी समय-समय पर सरकार से मांग की जाती रही है। सरना धर्म कोड की मान्यता नहीं मिलने के कारण आदिवासी समुदाय को दूसरे धर्म में जबरन धर्म परिवर्तित करके लाया जा रहा है।
जैन समुदाय को उनका धर्म कोड संवैधानिक रूप से मिल चुका है, जबकि उनकी संख्या आदिवासी समुदाय से कम है। झारखंड राज्य में विगत दिनों प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का दौरा भी हुआ, परंतु सरना धर्म कोड को लेकर किसी प्रकार की कोई पहल नहीं देखी गई। इन सभी वस्तु स्थिति को देखते हुए सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान की ओर से आगामी 30 दिसंबर को आंदोलन के तहत भारत बंद और चक्का जाम का आवाहन किया गया है, क्योंकि आदिवासियों के साथ संवैधानिक न्याय का काम सरकार के द्वारा अब तक नहीं किया गया है।
वहीं, झारखंड के पारसनाथ के विषय में कहा कि झारखंड सरकार ने लिखित रूप से जैन धर्मावलंबियों को सौंप दिया जबकि पारसनाथ आदिवासियों के परंपरा एवं संस्कृति के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र है। इस कुठाराघात के प्रति आने वाले 10 दिसंबर को झारखंड के पारसनाथ में पूरे देश भर के आदिवासियों का महाजुटान होगा। वही आदिवासी सेंगल अभियान की ओर से आने वाले 22 दिसंबर को दुमका में आशा भाषा विजय दिवस मनाया जाना है।