वाराणसी की एक अदालत में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद मामले और काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम पर कथित रूप से हिंसा भड़काने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई होने वाली है। बता दें कि वकील हरि शंकर पांडे ने वाराणसी की अदालत में एक याचिका दायर कर पुलिस से अखिलेश यादव, ओवैसी भाइयों और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद मामले का दुरूपयोग कर ‘धार्मिक भावनाओं को आहत’ पहुंचाने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की।
नेताओं ने दिया ऐसा बयान
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी ने विवादित बयान दिया था। हालांकि हिंदू पक्ष द्वारा दावा करते हुए कहा था कि मस्जिद परिसर में अदालत द्वारा आदेशित वीडियो सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद के वजुखाना के पास एक शिवलिंग पाया गाया था। जिसके बाद ओवैसी ने कहा था कि “यह एक फव्वारा है, कोई ‘शिवलिंग’ नहीं। हर मस्जिद में यह फव्वारा होता है। कोर्ट के कमिश्नर ने यह बात क्यों नहीं उठायी? मस्जिद को सील करने का आदेश पूरी तरह से 1991 के अधिनियम का उल्लंघन है”। वहीं दूसरी तरफ हिंदू पक्ष के दावों के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बयान देते हुए कहा था कि “हिंदू धर्म में अगर हम कहीं भी पत्थर रख दें या पीपल के पेड़ के नीचे लाल झंडा लगा दें तो वह स्थान मंदिर बन जाता है”।
अदालत करेंगी तय
हालांकि पहले से ही वाराणसी अदालत में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई चल रही है। वहीं अब अदालत यह तय करेगी कि पहले हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई की जाए, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है या फिर मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई की जाएं जिन्हें हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार नहीं है। वहीं हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि, “दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, वाराणसी अदालत मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगी कि किस याचिका पर पहले सुनवाई होनी चाहिए।”