हर साल की तरह इस साल भी बिहार आर्ट थिएटर द्वारा‘रामलीला’ का मंचन किया जाएगा। इसकी जानकारी बिहार आर्ट थिएटर के आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. निहोरा प्रसाद यादव ने दिया। उन्होंने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दुर्गापूजा / दशहरा के अवसर पर बिहार आर्ट थिएटर द्वारा दिनांक 23/10/2023 को कालिदास रंगालय में बृहत् रूप से ‘रामलीला’ का मंचन किया जाएगा। लगभग 80 कलाकारों से युक्त इस प्रदर्शन में दर्शकों को कुछ नए प्रसंगों को देखने का अवसर मिलेगा। वैसे तो रामचरितमानस को मंचित करने में कम से कम दस दिन का समय लगेगा, मगर हमारा प्रयास है कि मूल रूप से इस महाकाव्य का सन्देश जन मानस तक पहुँचाया जाए।
इस दौरान ‘बैट’ के महासचिव कुमार अभिषेक रंजन ने जानकारी दी कि ‘रामलीला’ का मंचन 23 अक्टूबर के साथ–साथ दिनांक 21/10/2023 को राज्य के बाहर झारखण्ड के धनबाद शहर में भी किया जाएगा। इसके लिए धनबाद में प्रेक्षागृह आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है। युद्ध स्तर पर नाट्य प्रदर्शन से सम्बंधित सभी पहलुओं जैसे सेट्स, कॉस्ट्यूम, प्रकाश, ध्वनि, मंच एवं पात्र सामाग्री पर कार्य किया जा रहा है। राज्य के बाहर जैसे दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी जैसे शहरों से सामग्रियों कि व्यवस्था की जा रही है। कलाकारों के उत्साह को देखते हुए रिहर्सल सुबह – शाम करने की व्यवस्था की गई है, जिससे प्रदर्शन को सफल एवं यादगार बनाया जा सके।
‘बैट’ के अपर सचिव गुप्तेश्वर कुमार ने बताया कि बिहार आर्ट थिएटर अपनी स्थापना 1961 से लगातार बिहार की कला, संस्कृति, विशेष कर नाट्य प्रदर्शन के विकास के लिए कार्य कर रहा है। पटना से बाहर भी रामलीला का मंचन किया जाता है, कोलकाता, बर्नपुर, भागलपुर, राँची, जमालपुर, धनबाद, सिजुआ – मरामकेरा कोयला खदान, गुआ, देहरादुन आदि जगहों पर नाट्य प्रदर्शन कर संस्था ने नाट्य आन्दोलन को जिंदा रखा है। इसी की वजह से पुनः पटना एवं धनबाद में रामलीला का प्रदर्शन हो रहा है।
वहीं शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि नाटक सशक्त माध्यम है सामाजिक संदेशों के जन जन तक पहुंचाने का। बिहार आर्ट थिएटर ने अपने मानदंडों को हमेशा ऊंचा रखा और यही कारण है कि आज के व्यवसायिक दौर में भी बिहार आर्ट थिएटर के प्रयास कला को सुदृढ़ करते हैं और कलाकारों को सच्ची कला से रूबरू कराते हैं।
वहीं कमल नोपानी ने कहा कि जिस रामलीला का मंचन राज्य एवं राज्य के बाहर दूसरे राज्य में करने का निर्णय लिया गया है। इसके लेखन एवं निर्देशन कि जिम्मेवारी संस्था के महासचिव अभिषेक रंजन को दिया गया है जो काफी निष्ठा के साथ इस पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रामलीला आज के परिवेश में मात्र नाटक नहीं रह गया है बल्कि हमारे समाज के लिए जीने का ढंग, संस्कार एवं कर्त्तव्य निर्वहन करने का सन्देश देने वाला सशक्त माध्यम है।
संचालक मंडल के सदस्य अरुण कुमार सिन्हा एवं आलोक गुप्ता ने कहा कि आज के भौतिकवादी बाज़ार युग में रामचरितमानस का प्रसंग धैर्य, सहनशीलता, जिम्मेदारियों का बोध दिलाने वाला महाकाव्य है। वैसे तो दुर्गापूजा के अवसर पर बहुत स्थानों पर रामलीला का मंचन किया जाता है परन्तु बिहार आर्ट थिएटर इस पर शोध कर कुछ अनछुए प्रसंगों को दर्शकों के सामने लाने का प्रयास करेगा। निर्देशक कुमार अभिषेक रंजन के देख – रेख में प्रस्तुत होने वाला यह रामलीला एक मील का पत्थर साबित होगा, हम ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।
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