बिहार की सियासत में एकबार फिर से जातीय जनगणना को लेकर बहस और हलचल तेज हो गई है। आज तेजस्वी यादव का प्रेस कांफ्रेंस था। जहां उन्होंने सीएम नीतीश को 42 से 72 गनते का अल्टीमेटम दिया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि कल और आज पार्टी का दो दिन महत्वपूर्ण बैठक है। आप कह सकते हैं पार्टी का चिंतन चला जो ज्वलन मुद्दे हैं चाहे जातीय जनगणना को लेकर हो, बेरोजगारी को लेकर हो, महंगाई को लेकर के हो। हमारे पार्टी की आगे का रूप रेखा क्या होगा और हम किन मुद्दों के साथ जनता के बीच जाएंगे इस सारे मुद्दों पर पार्टी के सारे वरिष्ठ नेता के साथ विचार विमर्श किया गया।
साम्प्रदायिक शक्तियां भाईचारे को तोड़ना चाहती
सभी को पता है कि देश में खास कर बिहार में साम्प्रदायिक शक्तियां भाईचारे को तोड़ना चाहती हैं। अमन चैन शान्ति नहीं बल्कि बंटवारा और तनाव का वातावरण बनाया जा रहा है। जो असल मुद्दे हैं उससे ध्यान भटकाने का काम किया जा रहा है। जहर फैलाने की जो बातें हैं वह किया जा रहा है। जो असल मुद्दे हैं बिहार में बेरोजगारी, महंगाई, पलायन, गरीबी उस पर बात नहीं होती है। बिहार के विशेष राज्य का दर्जा हो, जातीय जनगणना हो इस पर कोई भी मौजूदा सत्ता में बैठे लोग चर्चा नहीं करते हैं।
मुद्दों को लेकर सड़क पर संघर्ष
चर्चा सिर्फ हो रही है हिंदू, मुस्लमान, मंदिर, मस्जिद और लाउडस्पीकर की। वाकई लोग जिस तकलीफ और तनाव में हैं उस पर कोई बात नहीं कर रहा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि जनता के मुद्दों को लेकर सड़क पर संघर्ष करना होगा। वहीं उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर जब सवाल पूछा गया तो उसमें हमने कहा था कि अब कोई उपाय नहीं बचाता है। हमलोग पैदल चल कर रोजगार और जातीय जनगणना को लेकर दिल्ली कूच करेंगे। अगर पूर्व में जाईयेगा तो वर्ष 2011-12 में लालू यादव के प्रयास से यूपीए-2 की सरकार में उस वक्त Caste Census कराया गया था।
दो बार प्रस्ताव पारित हुआ
लेकिन बाद में पता चला कि कोई डेटा जो है वह खराब हो गया है। इस वजह से पब्लिक डोमेन में इसे नहीं रखा गया। उस वक्त भी लालू यादव ने इस बात को लेकर संघर्ष किया। राजद और लालू के संघर्ष के बदौलत ही बिहार में दो बार विधानसभा और विधान परिषद में प्रस्ताव भी पारित हुआ। जब यह पार्ल्यामेंट में सवाल आया जब भारत सरकार के मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि जातीय जनगणना नहीं करायेंगे। तब हमलोग बिहार विधानसभा में सीएम के सामने खुद प्रस्ताव रखा और कहा कि एक डेलिगेशन लेकर चलिए पीएम मोदी से मिलने के लिए। मानते हैं तो ठीक है वरना दूसरा प्रस्ताव यह था कि राज्य सरकार जो है वह अपने बल पर जातीय जनगणना कराये।
कहीं न कहीं दाल में कुछ काला
इसके लिए सबकी सहमति बन गई थी। सब लोग पीएम मोदी से मिले और बात रखी। इस बात से सीएम नीतीश भी सहमत थे। जिस बात को मैंने बोला कि यह देश हित का मामला है और यह होना चाहिए तो सीएम ने भी कहा कि हां यह देश हित का मामला है और होना चाहिए। लेकिन आज कितने महीने हो गए। यह साफ़ तौर पर दिखाता है कि आखिर कहीं न कहीं दाल में कुछ काला है। मामले को टालने का प्रयास किया जा रहा है। जब दो बार विधानसभा और परिषद से प्रस्ताव पारित हो गया तो क्यों बार-बार टाला जा रहा है।
सीएम मामले को दबाना चाहते
क्या महत्व रह जाएगा फिर इस विधानसभा और परिषद का? कहीं न कहीं यह देर करने की टैक्टिस साफ़ तौर पर दिखाता है कि मुख्यमंत्री इस मामले को दबाना चाहते हैं। लेकिन हमलोग जिस संकल्प के साथ चले थें। जो संघर्ष हुआ उसको सही में अमली जामा पहनना हमलोगों की जिम्मेवारी है। सीएम से मेरा यह सवाल है कि आखिर कौन सी ऐसी कठिनाई हैं जो आप जातीय जनगणना को लेकर के आप सभी से बात नहीं कर रहे हैं।
कमिटमेंट के बाद भी आप टाल मटोल
विधानसभा में अपने कमिटमेंट के बाद भी आप टाल मटोल कर रहे हैं तो कौन इस संस्थान पर विश्वास करेगा। मुख्यमंत्री से हम यही चाहते हैं कि वह सभी लोगों से बात करें। उन्हें सिर्फ कैबिनेट की बैठक बुलानी है और पारित कर देनी है। 48 घंटे से 72 घंटे के बीच में मुख्यमंत्री हम लोगों को बुलाए। अगर आप नहीं बुलाते हैं तो हम आपसे समय मांगेंगे।
ऑफीशियली समय मांगा
अपना इरादा बताएं क्या करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री से ऑफीशियली समय मांगा। अगर समय नहीं मिलता है तो आगे की रूपरेखा लेकर तय करेंगे क्या करना है। इंतजार है मुख्यमंत्री समय देते हैं या फिर नहीं। वही बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जैसे r.s.s. नागपुर से चल रहा है वैसे ही बिहार सरकार भी नागपुर से चल रही है।