वन नेशन-वन इलेक्शन की अभी चारों ओर चर्चा तेज है। सरकार ने इसके लिए एक हाई लेवल की कमेटी भी बना दी है। इस पर जन सुराज के प्रशांत किशोर ने बयान दिया है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि अगर इसे सही नीयत से किया जाए और एक 4 से 5 साल का ट्रांजेशन का फेज हो। ताकि सबको उस व्यवस्था में आने का समुचित समय मिले तो ये देश के हित में है।
सरकार की नीयत ठीक है तो होना चाहिए
मुजफ्फरपुर शहर में पत्रकारों से बातचीत में पीके ने आगे कहा कि पूर्व में देश में 17-18 सालों तक यह व्यवस्था लागू था। भारत जैसे बड़े देश में, जहां मैं खुद इलेक्शन से जुड़ा रहा हूं। हर साल 25 फीसदी भारत का हिस्सा करीब-करीब वोट करता है। ऐसे में पूरे समय सरकार चलाने वाले लोग कभी यहां इलेक्शन तो कभी वहां इलेक्शन कराने के चक्कर में फंसे रहते हैं। अगर, इसको एक बार या दो बार में किया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। इससे खर्च भी बचेगा और जवाबदेही भी तय होगी। जनता को एक बार ही निर्णय लेना होगा। चूंकि ये व्यवस्था साल 1967 के बाद से करीब-करीब 50 वर्षों से बन गई है। इसको ओवरनाइट ट्रांजेशन करेंगे, तो उसमें दिक्कत आ सकती है। अभी सरकार शायद बिल ला रही है, बिल को आने दीजिए। अगर, सरकार की नीयत सही में ठीक है तो इस चीज को होना चाहिए।
इलेक्शन एक बार या दो बार होंगे तो फायदा है
प्रशांत किशोर ने कहा कि मान लीजिए कि आप आतंकवाद निरोधक कोई कानून लाते हैं, तो कानून लाना अच्छी बात है। आतंकवाद रुकना चाहिए, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन, आप उस कानून का इस्तेमाल किसी वर्ग विशेष या समाज विशेष को प्रताड़ित करने के लिए करते हैं, तो ये जस्टिफाइड नहीं है। किस नीयत से सरकार ला रही है, कितनी ईमानदारी से इसे लागू करती है इस पर निर्भर करता है। मूलत: इलेक्शन रोज न होकर अगर एक बार या दो बार होगा तो उससे देश का आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक फायदा है।