Team Insider: बिहार(Bihar) में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। केंद्र व राज्य सरकार कम दाम(Low Cost) अथवा फ्री (Free) में गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने का दावा कर रही है। इसके लिए राशन दुकानों के माध्यम से अनाज उपलब्ध करवा रही हैं। वहीं दूसरी ओर सुशासन की सरकार के प्रहरियों के नाक के नीचे से दुकानों में राशन के बदले जहर बांटा जा रहा है।
प्लास्टिक के चावल
एक ओर बिहार सरकार प्लास्टिक पर बैन लगाती है। वहीं दूसरी तरफ यहीं सरकार गरीबों को खाने के लिए प्लास्टिक के चावल दें रही है। सुनकर आपको यह अजीब लगेगा लेकिन सच यही है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रो में अधिकारियों व कर्मचारियों सहित कालाबाज़ारियों द्वारा मौत का गंदा खेल खेला जा रहा है। सरकार ने बड़े बड़े दावे करते हुए इन चावलों को गरीबों में मुफ्त अनाज वितरण हेतु भेजवाया है।
मेहसी प्रखंड के परतापुर गाँव का है मामला
शर्म को भी शर्मसार करने वाला यह मामला मोतिहारि के मेहसी प्रखंड के परतापुर गाँव का है। जहां राशन दुकानदार ऐसी ही चावल का वितरण जन प्रणाली दुकान के माध्यम से कर रहे हैं। बता दें की यह चावल एसएफसी के माध्यम से यहां पहुंचा है ।ऐसे में यह ग्रामीण क्षेत्र की जनता के साथ घोर लापरवाही नहीं तो ओर क्या है? जिस प्लास्टिक के दाने से बनी इस चावल को उबाला जा रहा है वो चावल गर्म होकर काली हो जा रही है।
जल्द होगी दोषियों पर कार्यवाही
मामले की गम्भीरता को देखते हुए जिले के जिलाधिकारी शिर्षत कपिल अशोक ने बताया कि ऐसी ही सूचना उन्हें चकिया सहित अन्य जगहों से भी मिली है। बता दें की अनाज का वितरण एसएफसी के माध्यम से किया जाता है। इसके नोडल पदाधिकारी वहां के एसडीओ व अन्य अधिकारी होते है। उन लोगों के देख रेख में राशन का बितरण किया जाता है इसलिए उन्होंने त्वरित इस मामले को अपने संज्ञान में लेते हुए चकिया एसडीएम को इसकी सूक्ष्म जांच करने व दोषियों पर कार्यवाही करने का निर्देश जारी किया। बता दें कि सुशाशन की सरकार में ऐसे खेल रोज़ाना खेले जाते है।
कालाबाजारियों का नेटवर्क है सक्रिय
अधिकारियों व कालाबाज़ारियों की सांठगांठ से लाखों लाख का बंटवारा किया जाता है। खास कर जिले में अनाज वितरण में कालाबाजारियों का एक बड़ा नेटवर्क चलता है। वहीं अधिकारियों को भी इसके लिए एक मोटी रकम दी जाती है। देखना यह है की इस मामलें की जांच होगी या नहीं , क्या अब भी गरीबों को प्लास्टिक से बने चावल का सेवन करना होगा?