अध्यापक बहाली में डोमिसाइल नीति खत्म करने के विरोध में और अपने हक के लिए टीईटी शिक्षक संघ आज सड़क पर उतरे। टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम एवं बिहार भावी प्रारंभिक शिक्षक संघ के दीपांकर गौरव के नेतृत्व में आज राज्य भर के शिक्षक अभ्यर्थी पटना की सड़कों पर विरोध करने उतरे। अभ्यर्थियों का हुजूम गांधी मैदान से डाक बंगला चौराहा की ओर बढ़ा तो अभ्यर्थियों को बिस्कोमान भवन के पास रोक दिया गया। पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच तनातनी के बाद पुलिस ने शिक्षक अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई शिक्षक अभ्यर्थी एवं महिलाएं घायल हो गए।
डाकबंगला चौराहे पर पुलिस से टकराव
अभ्यर्थियों का एक जत्था पटना जंक्शन से डाकबंगला पहुंचने में कामयाब रहा। डाकबंगला चौराहे पर विरोधी प्रदर्शन करने के बाद पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इसी आक्रोश में शिक्षक अभ्यर्थियों ने पुलिस के द्वारा बनाई गई बैरिकेडिंग को तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास किया तब पुलिस ने फिर बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज किया। इसके अलावा पटना के इनकम टैक्स गोलंबर, एसपी वर्मा रोड गोलंबर, एग्जिबिशन रोड चौराहा आदि पर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया। यहां तक कि उनका नेतृत्व कर रहे छात्र नेता अभिषेक झा, सत्यम कुमार सहित एक दर्जन के अधिक शिक्षक अभ्यर्थियों को हिरासत में ले लिया गया।
सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों का कर रही अपमान
टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम एवं भावी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने संयुक्त रूप से कहा कि सरकार ने शिक्षक बहाली परीक्षा में से डोमिसाइल नीति को हटा दिया गया है, शिक्षक संघ इसका पहले दिन से विरोध कर रहा है। दलों के प्रवक्ताओं और मंत्रियों द्वारा बिहार के शिक्षकों और अभ्यर्थियों को अयोग्य बताया गया और कहा गया कि यह कदम बिहार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए लिया जा रहा है। यह कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है। ये बिहार के शिक्षकों का और शिक्षक अभ्यर्थियों का सीधा-सीधा अपमान है।
लाठीचार्ज से शिक्षक अभ्यर्थियों में आक्रोश
अमित विक्रम और दीपांकर गौरव ने कहा कि बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज से पूरे बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों में आक्रोश है। उनका कहना है कि सरकार वर्षों से बहाली का इंतजार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों की बात सुनने को तैयार नहीं है। सरकार किसी भी शिक्षक या शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि के साथ बैठक करने के लिए तैयार है। ऐसी स्थिति में उनके पास अपनी बातों को सरकार तक पहुंचाने का एक ही तरीका है, विरोध प्रदर्शन। जब अभ्यर्थी शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे तो फिर यह तानाशाही क्यों? क्या हमारे राज्य में अब शांतिपूर्ण रूप से विरोध करने पर भी रोक लगाई जाएगी? टीईटी शिक्षक संघ सरकार के इस रवैए की कड़ी निन्दा करता है।