RANCHI : संसद भवन के नए भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को नहीं बुलाया जाना अब राजनीतिक पार्टियों के लिए मुद्दा बन गया है। विपक्षी पार्टियां इसे लेकर तरह-तरह के बयान दे रही है। कांग्रेस ने भी इसे राष्ट्रपति का अपमान बताया। अब जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने संसद के नए भवन के उद्घाटन कार्यक्रम की जमकर आलोचना की है। जेएमएम कार्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। सारी परंपराएं और सीमा तार-तार कर उद्घाटन किया गया। आने वाले समय में समाज कैसे उस पर काबू पाए, इस पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि आदिवासी महिला राष्ट्रपति का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से ऊपर शिलापट पर नहीं आ जाए, इसलिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया।
सबसे उपर मेरा नाम की मानसिकता
सबसे ऊपर मेरा नाम हो, इसी मानसिकता के तहत में प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में नए संसद भवन का शिलान्यास किया। उस समय भी तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया। यदि वह आते, तो उनका नाम शिलापट्ट पर सबसे ऊपर होता, उसके नीचे नरेंद्र मोदी का नाम होता। मोदी जी यह नहीं चाहते थे। भट्टाचार्य ने कहा कि उद्घाटन समारोह स्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर देश की पहचान बनाने वाली पहलवान बेटियों को पीटा गया, जो न्याय मांग रही थीं। कानून की दुहाई देने वालों ने उद्घाटन समारोह के दौरान लुटियंस जोन के सभी रास्ते ब्लॉक कर दिए थे, ताकि न कोई आ सके और न बाहर जा सके।
कांग्रेस भी कर चुकी है विरोध
झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा के समक्ष बिरसा चौक में 28 मई को महाधरना दिया। महाधरना का आयोजन संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को नहीं बुलाने जाने के विरोध में था। झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि संसद भवन के शिलान्यास के समय भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया था। जब संसद के नए भवन का उद्घाटन हो रहा है तो वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इससे दूर रखा गया है। जबकि राष्ट्रपति लोकसभा को आहूत करने की आज्ञा देती है। साथ ही बताया कि द्रौपदी मुर्मू जो पहले झारखंड की राज्यपाल रह चुकी है। झारखंड वासियों का उनसे अलग लगाव है। केंद्र सरकार चार्टर्ड प्लेन के जरिए तमिलनाडु से अतिथियों को ला रही है। वहीं राष्ट्रपति को इस कार्यक्रम में आमंत्रित भी नहीं किया गया है। इसे कहीं न कहीं राष्ट्रपति का अपमान समझा जा सकता है।