प्रशांत किशोर के अनशन और उनकी वर्तमान स्थिति को लेकर जो खबर सामने आई है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि उनके स्वास्थ्य को लेकर गहराई से विचार करने की आवश्यकता को भी दर्शाती है।
डॉ. रवि शंकर सिंह द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, प्रशांत किशोर की स्थिति स्थिर है लेकिन नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि वे आईवी के जरिए न्यूट्रीशन और दवाइयां दे रहे हैं, लेकिन खाना न खाने की वजह से उनकी स्थिति जटिल हो सकती है। यह प्रशांत किशोर की प्रतिबद्धता और उनके संकल्प को दर्शाता है, लेकिन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह स्थिति गंभीर हो सकती है।
पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा और वरिष्ठ अधिवक्ता वाईवी गिरी ने प्रशांत किशोर से अनशन तोड़ने की अपील की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि यह लड़ाई लंबी है और इसके लिए उनका स्वस्थ रहना आवश्यक है। पवन वर्मा ने बिहार प्रशासन की असंवेदनशीलता की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का अनशनकारियों से मिलने से इंकार करना एक गलत संदेश देता है।
वाईवी गिरी ने भी प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों से आग्रह किया है कि न्यायपालिका का सहारा लिया जाए और अनशन को तोड़कर अपनी ऊर्जा को आने वाले संघर्षों के लिए बचाया जाए। उन्होंने बीपीएससी के अभ्यर्थियों की समस्याओं को लेकर हाईकोर्ट जाने पर विचार करने की बात कही है।
यह परिस्थिति न केवल प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य के लिए गंभीर है, बल्कि बिहार में बदलाव लाने की उनकी मुहिम के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह देखना जरूरी है कि उनके समर्थक और सरकार इस स्थिति में क्या कदम उठाते हैं।