पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना पर रोक लगा दिया है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने तत्काल प्रभाव से जाति आधारित गणना पर रोक लगा दिया है। 3 जुलाई को इस मामले में आगे की सुनवाई होगी। पटना हाईकोर्ट में जाति आधारित गणना पर रोक लगाने वाली याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई पूरी हो गई थी। कोर्ट ने कल फैसला सुरक्षित रख दिया गया था। आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 3 जुलाई तक स्टे लगा दिया है। साथ ही कोर्ट ने अबतक इकठ्ठा किए गए डाटा को सुरक्षित रखने को भी कहा है। डाटा को साझा करने पर रोक लगाया है।
दोनों पक्षों की ने दी थी ये दलील
बता दें कि बीते दिन चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की थी।कोर्ट ने ये जानना चाहा कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है? कोर्ट ने ये भी पूछा है कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं? साथ ही ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या। जिसके बाद सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट में दलील दी गई कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र के बाहर है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।उन्होनें ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। दूसरी तरफ दूसरी तरफ राज्य सरकार के अधिवक्ता पीके शाही ने दलील दी कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए ये सर्वेक्षण किया कराया जा रहा है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रख दिया था। आज कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनते हुए 3 मई तक जाति आधारित गणना पर रोक लगा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने भेजा हाईकोर्ट
दरअसल जाति आधारित गणना पर रोक को लेकर सबसे पहले 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। साथ ही जल्द सुनवाई करने की मांग के गई थी। 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ती टी एस नरसिन्हा की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को इस मामले में 3 दिन के अंदर सुनाई करने का आदेश भी दिया था। जिसके बाद पटना हाईकोर्ट में सुनाई हुई और आज फैसला सुनाया जाना है। बता दें कि बिहार में 7 जनवरी 2023 में पहले चरण की जाति आधारित गणना हुई थी वहीं दूसके चरण की शुरुआत 15 अप्रैल से की गई थी। जिसपर अब तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया गया है।