बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घ’टना में लाशों का ढ़ेर लगा हुआ था। दर्द से चीख-पुकार करते कई यात्रियों का शोर उनकी जान निकलने के बाद थमा। कुछ घंटे बीते तो यात्रियों का दर्द उनके परिजनों तक पहुंच गया। परिजनों की आंख के आंसू अभी सूखे भी नहीं थे कि इस आपदा में अवसर तलाशने के लिए एक युवक रेल मंत्री के पास पहुंच गया। यहां उसने अपनी मां की मौ’त का झूठा किस्सा सुनाया। पांच साल पहले म’री हुई मां को उसने बालासोर में हुए हादसे में म’रा बताया। अपनी मां के मौ’त के बदले में उसे चाहिए थी नौकरी और मुआवजा। लेकिन झूठ के पांवों से हिमालय नहीं चढ़ा जाता और वही संजय के साथ भी हुआ।
पटना का रहने वाला है संजय
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अपनी मां की मौ’त के बदले रेलमंत्री से नौकरी मांगने वाला संजय कुमार बिहार की राजधानी पटना का रहने वाला है। 42 वर्ष के संजय के दो बच्चे हैं और वो खुद को बेरोजगार बताता है। कोरोमंडल हादसे के बाद दिल्ली पहुंचा संजय मंडावली में अपने एक रिश्तेदार के घर रुका था। यहां से वो पहले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के आवास पर पहुंचा। इसके बाद वो रेल भवन पहुंचा। यहां जिन अधिकारियों से मिला उनसे यही कहा कि उसकी मां कोरोमंडल एक्सप्रेस में थी। और बालासोर हा’दसे के दौरान उसकी मौ’त हो गई।
अधिकारियों ने पकड़ लिया झूठ
संजय ने शुरुआत में तो पूरा कांफिडेंस दिखाया लेकिन अधिकारियों के सवाल-जवाब में उलझ कर फंस गया। उसने अधिकारियों को बताया कि उसकी मां का टिकट वेटिंग लिस्ट में था। लेकिन जब अधिकारियों ने उससे टिकट का सबूत मांगा तो वो फंस गया। उसके पास कोई सबूत नहीं था। ट्रैवल एजेंट के जरिए टिकट कराने की बात संजय ने की थी लेकिन उसका नाम भी उसे याद नहीं था। बार बार बयान बदलने वाले संजय का झूठ कुछ घंटे भी नहीं चला और वो पकड़ा गया। इससे पहले देर तक रेलवे के अधिकारी उसकी मां की तलाश के लिए रेलवे स्टेशनों पर फेशियल रिकग्निशन की तकनीक का इस्तेमाल करते रहे। लेकिन वो कहीं नहीं दिखी।
संजय ने कबूला अपराध
नौकरी और मुआवजे के लिए झूठ बोलने वाले संजय ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अधिकारियों की क्वेश्चनिंग में संजय टूट गया। तब उसने बताया कि रेल मंत्री से मिलने के लिए उसने अपनी मां की मौ’त का झूठा बयान दिया था। उसकी मां की मौत 2018 में ही हो गई थी।