सरकारी नौकरियों में जाति के लिए आरक्षण की मांग के लिए राजस्थान (Rajsthan) में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला का गुरुवार को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके बेटे विजय बैंसला ने गुर्जर नेता के निधन की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि उनके पिता का लंबी बीमारी के बाद जयपुर के एक अस्पताल में तड़के निधन हो गया। किरोड़ी सिंह बैंसला द्वारा आयोजित विरोध मार्च में कई बार नागरिक अधिकारियों के साथ हिंसक झड़पें हुईं और साथ ही व्यापक संपत्ति का नुकसान हुआ।
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का नेतृत्व
2007 में किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ संघर्ष में 27 लोग मारे गए थे। इसी तरह मई 2008 में इस तरह की झड़पों में कुल 43 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश प्रदर्शनकारी थे। गुर्जर नेता ने आंदोलन के दौरान हिंसा और जानमाल के नुकसान के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया था। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का नेतृत्व करते हुए किरोड़ी सिंह बैंसला ने राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को 2020 में सबसे पिछड़े वर्ग (एमबीसी) की श्रेणी बनाकर नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण सहित उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए एक अल्टीमेटम दिया था।
‘रस्ता-रोको’ धरने का आह्वान
फरवरी 2019 में उन्होंने पूरे राजस्थान में रेलवे पटरियों पर ‘रस्ता-रोको’ धरने का आह्वान किया था। जिसमें गुर्जरों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग की गई थी। जहां गुर्जर आरक्षण के सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में लोगों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण के लिए आंदोलन किया था. वहीं राज्य विधानसभा में एक विधेयक पारित होने के बाद यह नौ दिवसीय विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया।
राजपूताना राइफल्स में भर्ती
राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में जन्मे किरोड़ी सिंह बैंसला एक शिक्षक थें। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए वे जल्द ही भारतीय सेना में शामिल हो गए। राजपूताना राइफल्स में भर्ती कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। राज्य में भारतीय जनता पार्टी के गुर्जर वोट बैंक का एक प्रमुख चेहरा किरोड़ी सिंह बैंसला और उनके बेटे 14 वर्षों से अधिक समय तक आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहने के बाद 2019 में पार्टी में शामिल हुए थें।