रामगढ़ उपचुनाव के ननामांकन की आज अंतिम तिथि थी. मंगलवार यानि की आज बजरंग महतो कांग्रेस प्रत्याशी ने नामांकन किया. नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत मंत्रियों का कुनबा मौजूद रहा. बता दें की सभी पार्टियों की तैयारी लगभग अंतिम चरण पर है. इस उपचुनाव में भले ही सभी पार्टियाँ अपनी किस्मत आजमा रहे है, लेकिन सही मायने में तो असली मुकाबला एनडीए और यूपीए प्रत्याशी के बीच ही होना है।
सहानुभूति का सहारा
मालूम हो की रामगढ़ की पूर्व विधायिका ममता देवी को गोली कांड मामले कौर्ट ने सजा सुनाई थी जिसके बाद ममता देवी की विधायकी चली गई. जिसके बाद रामगढ़ विधायक पद खली हो गई थी. अब उस विधायक पद को पाने के लिए यानि की रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव लड़ने के लिए सभी पार्टी ने अपने अपने प्रत्याशीयों के नामांकन करवा लिए है.
वहीँ कांग्रेस ने लोगों की सहानुभूति को पाने के लिए कांग्रेस ने पूर्व विधायक ममता देवी के पति को टिकट दिया है। कांग्रेस का यह दांव कितना असरदार होगा, यह तो परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि इस तरह की स्थिति में मुद्दों पर लोगों की सहानुभूति भारी पड़ती है।
सरकार गठबंधन की मगर श्रेय ले रहा झामुमो
सूत्रों की माने तो रामगढ़ चुनाव में भले ही प्रत्याशी कांग्रेस का हो मगर असली लड़ाई मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की है. बता दें एक चिंतन शिविर के दौरान कांग्रेस के विधायक ने कहा था के सरकार की उपलब्धियों का सारा श्रेय झामुमो को ही मिल रहा है. गठबंधन की सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को कोई श्रेयनहीं मी पा रहा है.
जनता हो रही सरकार के खिलाफ
बता दें के मौजूदा हालात झारखण्ड सरकार की कुछ डगमगाई हुई सी है. वक्त हेमंत सरकार के खिलाफ जाती नजर आ रही. इस कोर्ट के द्वारा नियोजन नीति खारिज हो चुकी है. रोजगार की मांग को लेकर युवा सड़क पर हैं। उन्हें लग रहा है कि शेष बचे कार्यकाल में सरकार कुछ नहीं कर सकती है। शर्तों के साथ ओबीसी के आरक्षण की समीक्षा बढ़ाई गई है। 1932 के खतियान के आधार पर मंजूर स्थानीय नीति का विरोध सरकार के ही लोग कर रहे हैं। एसटी का दर्जा नहीं दिए जाने पर कुड़मी नाराज हैं।
दिख रही कुड़मी वोटर की नाराजगी
कुडमी वोटरों की नाराजगी हेमंत सरकार से इस हद तक है की रामगढ़ विधानसभा चुनाव में उनकी एनडीए की ओर जाने की उम्मीद जताई जा रही है। युवा पहले से ही वोटरों को हेमंत सरकार के खिलाफ लामबंद करने में लगे हैं। इसके लिए वे मुहिम चला रहे हैं। वादा करके भी सीएम अब तक कॉन्ट्रेंक्टल कर्मियों को नियमित नहीं की है। इसके खिलाफ व्यासपक आक्रोश है।
कैबिनेट पर आस
केबिनेट पर सरकार की आस लगी है संभव है कि इसमें सरकार नई नियोजन नीति को मंजूरी मिले। कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों को नियमित करने के प्रस्ताव की भी स्वीकृति मिले। इसके अलावा अन्य निर्णय लेकर भी सरकार अपने खिलाफ बह रही हवा को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर सकती है।
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अब तक की जीत
हेमंत सरकार बनने के बाद राज्य में अब तक चार उपचुनाव हो चुके हैं। सभी उप चुनावों में यूपीए के प्रत्याशी को जीत मिली है। दरअसल, उस वक्त। वर्तमान जैसे हालात पैदा नहीं हुए थे। वक्त अधिक रहने के कारण युवा और लोग सरकार से उम्मीवद लगाए बैठे थे। इसके अलावा कई विधानसभा में सहानुभूति लहर रही। वर्तमान में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।