पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणवीर नंदन ने जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर जोरदार निशाना साधा है। उन्होंने पिछले दिनों खुद को लेकर ललन सिंह के दिए बयान पर घेरा है। प्रो. नंदन ने सवाल किया कि क्या नीतीश कुमार ने उन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी दिया है या फिर उन्हें एफिडेविट करा कर दिया है, जिस आधार पर वह भाजपा के साथ कभी भी गठबंधन नहीं करने की बात कर रहे हैं। दरअसल, ललन सिंह ने बयान दिया है कि नीतीश जी सात जन्मों तक भाजपा की तरफ नहीं देखेंगे। इसी को लेकर प्रो. नंदन ने ललन सिंह पर करारा हमला बोला है।
रणबीर के बयान पर बिफरे थे ललन
प्रो. नंदन ने पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर नीतीश कुमार और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर मिल जाएं तो विकास की गाड़ी काफी तेज गति से दौड़ेगी। दोनों ही नेताओं को विकास की सोच रखने वाला नेता करार देते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों पर कोई दाग नहीं है। इसलिए, दोनों को साथ मिलकर काम करना चाहिए। प्रो. नंदन के इसी बयान पर ललन सिंह ने तंज कसते हुए कहा था कि वे बड़ा सलाहकार बन रहे हैं। उनसे सलाह किसने मांगी थी?
अब ललन सिंह के बयान पर प्रो. रणबीर नंदन ने पलटवार किया है। उन्होंने जदयू से ललन सिंह के हटने के समय दिए गए बयानों को याद दिलाते हुए कहा कि जिस नीतीश कुमार का नाम लेकर वे आज अपनी राजनीति चमका रहे हैं, उनके बारे में कितना कुछ कहा था, किसे याद नहीं है। वे ऐसे नेता हैं जो अपनी पार्टी में रहते हुए इसे बर्बाद करने में जुटे हुए हैं।
लोकसभा सीट बचा लें ललन : रणबीर
ललन सिंह की राजनीतिक हैसियत पर हमला करते हुए प्रो. नंदन ने कहा है कि उनकी राजनीतिक ताकत यही है कि अगर मुंगेर में भाजपा का समर्थन न मिले तो वे लोकसभा सीट तक न बचा पाएंगे। भाजपा से ललन सिंह की चिढ़ पर प्रो. नंदन ने कहा कि उन्हें गुस्सा इस बात का है कि केंद्र में मंत्री नहीं बनाया गया। आरसीपी सिंह को तरजीह दी गई। अगर ललन सिंह में योग्यता होती तो वे मंत्री बनते। प्रधानमंत्री ने उनके भीतर की अयोग्यता को पहचान कर ही मंत्री पद नहीं दिया। इस कारण आजकल पानी पी-पीकर भाजपा को कोस रहे हैं।
प्रो. नंदन ने कहा कि कभी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उनके लिए किन शब्दों का इस्तेमाल किया था। वह भी सभी लोगों को याद है। लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जांच एजेंसियों के पास फाइल पहुंचाने वाले भी ललन सिंह ही रहे हैं। अब वे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के करीबी बन रहे हैं। वे अपनी ही पार्टी को लोगों के बीच काटने में जुटे हुए हैं। अगर नीतीश कुमार नहीं चाहते तो उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष तो क्या प्रदेश अध्यक्ष तक की कुर्सी नहीं नसीब होती। जल संसाधन विभाग में उनके कारनामों के कारण ही उन्हें बिहार से केंद्र में विदा किया गया था। इसी का गुस्सा वे नीतीश कुमार और पार्टी से निकाल रहे हैं। पावर में रहने की आदत वाले ललन सिंह अब बिना पावर के हैं। इसलिए, बिलबिला रहे हैं।