झारखंड प्रदेश आंगनवाड़ी वर्कर्स यूनियन के बैनर तले राजधानी रांची के राजभवन के समीप एक दिवसीय धरना दिया गया। इस धरना में सैकड़ों की संख्या में आंगनवाड़ी वर्कर्स यूनियन से जुड़े सेविकाओं ने प्रदर्शन किया। इस धरना प्रदर्शन 9 सूत्री मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए अविलंब लागू करने के लिए किया गया। आंगनवाड़ी वर्कर यूनियन ने कहा कि 2019 में 52 दिनों का अनिश्चितकालीन हड़ताल हुआ, जिसमें तीन बार विभागीय सचिव द्वारा समझौता किया गया।
मांगों को मांग नहीं माने जाने तक किया जाएगा घेराव
वर्तमान सरकार द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के लिए कहा गया था कि सरकार बनने के बाद सेविका को ₹10000 सहायिका को ₹8000 अतिरिक्त मानदेय की वृद्धि की जाएगी और उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा। लेकिन 3 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा है, जो दुखद है। लगभग 8000 आंगनबाड़ी सेविका सहायिका मुख्यमंत्री से आस लगाए बैठे हैं। झारखंड सरकार के वर्तमान मुख्यमंत्री हमारी मांग को अविलंब माने नहीं तो राजभवन के समीप के तीनों मांगों को मांग नहीं माने जाने तक घेराव किया जाएगा।
सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को होंगे बाध्य
वहीं गुमला जिले में भी सैकड़ों आंगनबाडी सेविकाओ ने अपनी लंबित मांगों को लेकर मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय के समक्ष रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। इस दौरान हेमन्त सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की गई। आंगनबाड़ी सेविका संघ की प्रदेश अध्यक्ष रीमा देवी ने बताया कि करीब दो वर्ष पूर्व संघ द्वारा मांगो को लेकर आंदोलन किया गया था। उस दौरान विपक्ष के नेता हेमन्त सोरेन द्वारा उनकी पार्टी की सरकार आने पर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन आज तक मांग पूरा नही किया गया।
बताया कि उनकी मांगों ने साबित मानदेय का बढ़े दर पर भुगतान, कोविड के दौरान किये गए कार्य के विरुद्ध भुगतान तथा पोषाहार से संबंधित भुगतान की मांग शामिल है। बताया कि यदि उनकी मांगे पूरी नही की जाति है तो वे लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। वही मांगो से संबंधित ज्ञापन उपायुक्त को दिए जाने की बात कही।