पलामू में हुए महादलित परिवार के साथ अमानवीय घटना पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने हेमंत सरकार को असंवेदनशील बताया। उन्होंने राजधानी स्थित बीजेपी कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि यह एक सोची समझी साजिश के तहत उन परिवारों को बेघर किया गया है। वे घटना स्थल का जायजा अपने कई बड़े नेता व सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ किए है। महादलित अपने परिवार के साथ 189 वर्षों से पलामू के पांडू में रह रहे थे। जहां उनके 50 परिवार थे। कांग्रेस के मुखिया इसरार अहमद ने उन परिवारों के सभी छोटे बच्चों को छतरपुर के जंगल में छोड़ दिया जिसकी खोज में उसके परिवार गए थे। मौका पाते ही उसके घर को जेसीबी से तोड़ कर दिया गया। साथ ही वहां के शिव मंदिर को भी तोड़ कर समतल बना दिया।
कांग्रेसी नेता घड़ियाली आंसू ही बहाते हुए नजर आए
कांग्रेसी नेताओं पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेता महादलित परिवार के पास जाकर सिर्फ घड़ियाली आंसू ही बहाते हुए नजर आए। महादलित परिवार का पहला अधिकार उस जमीन पर है जहां पर वे वर्षों से रह रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार से यह मांग की जाएगी कि उनके निवास स्थान के पास ही पीएम आवास तथा अंबेडकर आवास सुलभ कराया जाए। साथ ही उन दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा हो ।
बंगाल के साथ मिलाकर एक ग्रेटर बंगाल बनाने की कल्पना
दीपक प्रकाश ने कहा कि इन दिनों झारखंड के कुछ सीमा बंगाल के साथ मिलाकर एक ग्रेटर बंगाल बनाने की कल्पना कई मुस्लिम संगठनों के द्वारा की जा रही है। साथ ही उन्होंने झारखंड में हो रहे लड़कियों और महिलाओं पर एसिड अटैक को लव जिहाद का नाम देते हुए कहा कि मुस्लिम संगठनों द्वारा स्लीपर सेल तैयार कर झारखंड में छोड़े गए हैं जिन्हें कानून का डर नहीं है और पकड़े जाने पर भी वे मुस्कुराते हुए नजर आते हैं। मौके पर बालमुकुंद सहाय,अंकेश कुमार सिंह, निरंजन पासवान, शिवपूजन पाठक शामिल रहे।
देवघर डीसी की भूमिका पर उठाए सवाल
दीपक प्रकाश ने सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी सहित अन्य पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने के मसले पर देवघर डीसी की भूमिका पर सवाल उठाए. उन्होनें कहा कि दुमका में झारखंड की बेटी की जिस ढंग से मौत हुई है, उस पर जनप्रतिनिधि होने के नाते दोनों सांसद सहित भाजपा नेता कपिल मिश्रा मृतका के परिवार से मिलने गये थे। उन्हें आर्थिक सहयोग दिया। संकट में खड़े होकर नैतिक जिम्मेदारी निभायी। पर राज्य सरकार के सत्तारूढ़ दल और जिला प्रशासन को यह अच्छा नहीं लगा. सांसदों और अन्य पर फर्जी मुकदमा कर दिया गया. एयरपोर्ट के खास एरिया में जबर्दस्ती प्रवेश का फर्जी मामला डाला गया। वास्तव में इस मामले में खुद डीसी की भूमिका ही संदिग्ध है।