गठबंधन की सरकार कि 3 साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रेस वार्ता कर अपनी सरकार की उपलब्धि गिनवाई। इसके साथ उन्होंने मीडिया के द्वारा पूछे गए हर सवाल का जवाब दिया। लीज प्रकरण मामले को लेकर भी उन्होंने अपने बात कही है। इस सरकार के बारे में लगातार षड्यंत्र के तहत मीडिया में इस तरह खबरों का छपवाने का काम किया है। सरकार आज है कल नहीं। हमने हर सवाल का जवाब विपक्ष को दिया है। ईडी का भी हमने सहयोग किया है और नियोजन नीति पर खासकर उन्होंने कहा कि विपक्ष लगातार उनके नियोजन नीति को कमजोर करने की कोशिश की है और कोर्ट में अपने ही कार्यकर्ताओं से याचिका करवाया है।
भाजपा की जीत का घोड़ा आरक्षित सीटों ने रोका, 2023 में यही सबसे बड़ी चुनौती
हम उनके छल प्रपंच से डरने वाले नहीं है और राजपाल सभी हमारा भी बेहतर ही संबंध है। सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के हक और अधिकार के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को सबसे बड़ी उपलब्धि बतायी। उन्होंने कहा कि बाहरी-भीतरी और आदिवासियों की राजनीति करने का आरोप लगता है, लेकिन हमारी राज्य के हर वर्ग के अधिकार और हक के लिए काम करती है।
नियोजन नीति पर हेमंत सरकार कर रही कानूनी आंकलन
बीते दिनों झारखंड हाइकोर्ट में नियोजन नीति रद्द हो गई है। सारी वेकैंसी रद्द कर दी गई है। इसपर सीएम ने कहा कि इसका कानूनी आकलन किया जा रहा है। युवाओं का भविष्य खराब ना हो इसके लिए वह लगे हैं। आरक्षित लोग बिना स्थानीयता नीति या नियोजन नीति के भी सुरक्षित हैं। कुछ त्रुटियां हैं उस पर विचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा, जेल में कितने आदिवासी, पिछड़े और दलित बंद हैं? संविधान में उन्हें शक्तियां दी गई हैं। उन्हें संरक्षित किया गया है। इसके बावजूद, वे आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं।
इसके पीछे की वजह क्या है? इसीलिए हमने बिल को 1932 को 9वीं अनुसूची में डालने को कहा है ताकि ऐसे खुराफाती लोग कोर्ट जायें। झारखंड और बिहार, देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से हैं। जीएसटी (कंपनसेशन) के लिए 5 साल का पीरियड बढ़ाया जाये। दूसरे राज्यों में भी बिजली का बकाया लेकिन उनकी बिजली नहीं कटती है हमारी क्यों कट जाती है?
CM हेमंत का आरोप, जांच एजेंसियां विपक्षियों के ऊपर ज्यादा सक्रिय हैं
सीएम ने जांच एजेंसियों का भी जिक्र किया उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों का conviction rate 0.5 फीसदी है। जांच एजेंसियां विपक्षियों के ऊपर ज्यादा सक्रिय हैं। पक्ष पर कितनी कार्रवाई हुई? बोलने की जरूरत नहीं, सब साफ है। शुतुरमुर्ग जैसे सिर छुपा लेने से शरीर नहीं दिखता? जहां अरबों-खरबों का घोटाला हो रहा, बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर चंपत हो जा रहे हैं, उन पैसों का अता-पता नहीं। भगवान जाने 5 लाख करोड़ रुपय कब आयेंगे यहां चरन्नी-अठन्नी ढूंढने में लगे हुए हैं। राज्य में 100-200 छापों से क्या मिला । छापेमारी में पता चला कि बीजेपी के लोग हैं तो उन्हें छोड़ दिया। एजेंसियां ईमानदारी से काम करें तो हमें आपत्ति नहीं, लेकिन गलत तरीकों पर हमारी भी आपत्ति है।
माइक्रो लेवल पर काम हुआ है नक्सल क्षेत्र में
नक्सल मुक्त राज्य के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ की नक्सल से मुक्ति के लिए माइक्रो लेवल पर काम हुआ है। नक्सलियों का मनोबल टूट कर बिखर चुका है। कोशिश यही होगी कि मनोबल जो बिखर गया वो टुकड़े दोबारा ना जुड़े। इन लिए सरकार की पॉलिसी है, वे समाज की मुख्य धारा में आये आपके साथ सरकार सम्मान के साथ पेश आयेगी।