[Team insider] 1832 के ऐतिहासिक “लरका विद्रोह” के महानायक वीर बुधु भगत कि गुरुवार को जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अमर शहीद बुधु भगत को श्रद्धा सुमन अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों, जमींदारों और साहूकारों के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ जिस क्रांतिकारी आंदोलन का बिगुल फूंका था, वह इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
अंग्रेजी हुकूमत को दी थी कड़ी टक्कर
उन्होंने अपनी अदभुत नेतृत्व क्षमता और साहस की बदौलत अंग्रेजी हुकूमत को कड़ी टक्कर दी थी। उन्होंने देश की खातिर खुद को न्योछावर कर दिया। आज हम सभी वीर बुधु भगत की शहादत से प्रेरणा लेते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प ले। वीर बुधु भगत को शत शत नमन।
अंग्रेज सरकार ने एक हजार रुपये इनाम की घोषणा की थी
वीर बुधु भगत ने 1857 को ही स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम समर माना जाता है। लेकिन इससे पूर्व ही वीर बुधु भगत ने न सिर्फ क्रान्ति का शंखनाद किया था, बल्कि अपने साहस व नेतृत्व क्षमता से 1832 ई। में लरका विद्रोह नामक ऐतिहासिक आन्दोलन का सूत्रपात्र किया। उन्होंने अन्याय के विरुद्ध बगावत का आह्वान किया। अपने दस्ते को बुधु ने गुरिल्ला युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया। घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों का फायदा उठाकर कई बार अंग्रेजी सेना को परास्त किया। बुधु को पकड़ने के लिए अंग्रेज सरकार ने एक हजार रुपये इनाम की घोषणा कर दी थी।