[Team insider] भाषा विवाद को लेकर हेमंत सोरेन की सरकार में तकरार उत्पन्न हो चुका है। कुछ माह बाद सरकार ढाई साल के कार्यकाल को पूरा करेगी। इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस सरकार पर हावी होने के लिए दबाव बना रही है। बुधवार को ये बातें भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री डॉ. आशा लकड़ा ने कही। उन्होंने कहा कि ढाई वर्ष पूरे होने से पूर्व ही कांग्रेस को अपना मेनिफेस्टो याद आना किसी नए राजनीतिक खेल की ओर इशारा है।
झारखंडियों को ही आपस मे लड़ाने का काम कर रही है
जेएमएम व कांग्रेस के बीच राज्य के सीएम पद को लेकर 50-50 के खेल से भी इंकार नहीं किया जा सकता। यदि यह सही तो 50-50 के इस खेल को गठबंधन की सरकार बनाने के दौरान ही दोनों पार्टियों में सहमति बनी होगी। अब राज्य की आम जनता भी यह समझ रही है भाषा विवाद की इस ज्वाला में कौन कितना जलेगा। जिस प्रकार भाषा के नाम पर राज्य सरकार झारखंडियों को ही आपस मे लड़ाने का काम कर रही है, उससे लोगों में सिर्फ और सिर्फ आक्रोश ही उत्पन्न होगी।
क्षेत्रीय भाषओं को थोपने का काम कर रही है
मुख्यमंत्री समेत जेएमएम के अन्य मंत्री जान-बूझकर राष्ट्रभाषा हिन्दी को हटाकर क्षेत्रीय भाषओं को थोपने का काम कर रही है। यदि राज्य सरकार को क्षेत्रीय भाषाओं को समृद्ध करना है तो प्राथमिक विद्यालय स्तर पर इसकी शिक्षा की व्यवस्था करें। आज नौकरी-पेशा के लिए निजी व सरकारी संस्थानों में हिंदी और अंग्रेजी ही मुख्य माध्यम है।