रांची: कृषि शुल्क विधेयक के खिलाफ झारखंड के व्यवसाई आंदोलनरत हैं ।वही पूर्व निर्धारित घोषणा के तहत 15 फरवरी से खाद्यान्न व्यवसाई अनिश्चितकालीन बंदी पर चले गए हैं। विधेयक की वापसी को लेकर राजधानी रांची के विभिन्न मंडियों में व्यवसायियों ने काला झंडा लेकर विरोध मार्च निकाला । वही हेमंत सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। व्यवसायियों का मानना है कि कृषि शुल्क एक काला कानून है और इससे व्यवसायियों के व्यवसाय पर बुरा असर पड़ेगा। साथ ही महंगाई भी बढ़ेगी। ऐसे में जब तक सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेती,तब तक खाद्यान्न व्यवसाई अनिश्चितकालीन बंदी के साथ रहेंगे।
1 दिन में 100 करोड़ रुपए का नुकसान
राज्य में 28 मंडिया है। जो इस बंद में शामिल है। इसके साथ साथ थोक फल व्यवसाई और अन्य व्यवसाई संगठनों का भी इस बंद को समर्थन मिला है। झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के द्वारा कृषि शुल्क विधेयक को वापस लेने की मांग लगातार की जा रही है और लगातार राज्य की हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन सरकार पर सवाल उठा रही हैं। ऐसे में बंद का व्यापक असर भी देखा जा रहा है। चेंबर के अनुसार 1 दिन में 100 करोड़ रुपए नुकसान की उम्मीद जताई गई है। ऐसे में अनिश्चितकालीन बंदी में इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। वही बंद मंडियों से थोक और खुदरा व्यवसाई समेत रोजमर्रा का काम कर अपना जीवन यापन करने वाले खासा प्रभावित हो रहे हैं और वह सरकार से इस विधेयक के वापसी की मांग कर रहे हैं।