झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा को जैप 1 में विदाई दी गई। विभाग की ओर से परंपरा के तहत विदाई समारोह का आयोजन किया गया। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी नीरज सिन्हा ने 12 फरवरी 2021 को झारखंड के डीजीपी के रूप में पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले अलग झारखंड राज्य बनने पर यह 25 नवंबर 2000 को रांची के पहले एसएसपी बनाए गए थे। इन्हें 2002 में राष्ट्रपति वीरता पदक से भी नवाजा गया था।
इनके रहते हुए बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ, झुमरा, कुचाई पर सुरक्षाबलों की फतेह में इनका अहम रोल रहा। अब यूपीएससी के पैनल में 3 आईपीएस अधिकारियों का नाम झारखंड डीजीपी के लिए गया है। इसमें 1989 बैच के आईपीएस अजय भटनागर, अजय कुमार सिंह और 1990 बैच के अनिल पालटा का नाम शामिल है। अब इनमें से किसे डीजीपी के रूप झारखंड पुलिस की कमान सौंपी जाती है। इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।
जहां पुलिस जा नहीं पाती थी, वहां पुलिस की पहुंच है
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कई जगह काम हुए है, राज्य में उग्रवाद के भौगोलिक विस्तार को सीमित किया गया है। 3 दशक से जहां पुलिस जा नही पाती थी, वहां पुलिस की पहुंच है। आज ग्रामीण इतने खुश है कि पुलिस को हर काम में सहयोग दे रहे है। लोग कहते है उग्रवाद नक्सलवाद से परेशान होकर अपना घर तक छोड़ दिया था। लेकिन खत्म हो रहे उग्रवाद के वजह से 20 साल बाद गांव लौट रहे है। बूढ़ा पहाड़ इलाके में कभी सरकार नही पहुंच पाती थी, आज वहां शीर्ष नेतृत्व पर पहुंच चुकी है।