[Team insider] राजद सुप्रीम और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के परेशानियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीबीआई के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बहुचर्चित चारा घोटाले मामले से जुड़े डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में फिलहाल दोषी करार दिए जाने के बाद रिम्स में रखा गया है। वहीं इस मामले में सजा को लेकर 21 फरवरी को सुनवाई होगी। बता दें कि लालू यादव चारा घोटाले के डोरंडा केस में भी दोषी ठहराए गए हैं। यह मामला डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है। रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
कोर्ट के फैसले पर राजद कार्यकर्ताओं की टिकी नजरें
वहीं कोर्ट के फैसले पर राजद कार्यकर्ताओं के साथ लोगों की नजरें टिकी हुई हैं क्योंकि डोरंडा कोषागार मामला चारा घोटाले के चार अन्य मामलों में सबसे बड़ा घोटाला है। इसमें सबसे अधिक 139.35 करोड़ की निकासी की गई। आरसी 47ए/96 मामला 1990 से 1995 के बीच का है। सीबीआई ने 1996 में अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग राशियों की निकासी को लेकर 53 मुकदमे दर्ज किए थे। ये रुपयों को संदिग्ध रूप से पशुओं और उनके चारे पर खर्च होना बताया गया था।
आय से अधिक की संपत्ति एंगल को खंगालेगी ईडी
वहीं डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजा से पहले ही चारा घोटाले के दो मामलों में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की धाराओं में अलग से केस दर्ज किया है। वहीं इस मामले में पूर्व सीएम लालू यादव समेत 45 लोगों पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। अब ईडी की टीम मनी लॉन्ड्रिंग एंगल समेत आय से अधिक की संपत्ति एंगल को खंगालेगी। दोनों मामलों में चूंकि लालू यादव को सजा सुनाई जा चुकी है, ऐसे में उनकी प्रॉपर्टी को अटैच भी किया जा सकता है।
ईडी ने आरसी 38 ए/96 और आरसी 45ए 96 केस को टेकओवर किया है। मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के अन्य दोषियों के खिलाफ जांच की जाएगी। वहीं दोषी करार अभियुक्तों द्वारा घोटाले के पैसों से खरीदी गई संपत्ति की जांच के बाद जब्त करने का आदेश दिया गया था।
मृत्यु होने के बाद भी कार्रवाई का है प्रावधान
ईडी ने पहले चरण में सिर्फ उन्हीं लोगों को नाम भी नामजद अभियुक्त बनाया है, जिन्हें इन दोनों मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अभियुक्तों की मृत्यु होने के बाद भी कार्रवाई करते हुए, संबंधित संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है। बता दें कि दुमका कोषागार से 3.76 करोड की फर्जी निकासी के मामले में सीबीआई के तत्कालीन न्यायाधीश ने 19 मार्च 2018 को फैसला सुनाया था इसमें लालू यादव सहित 19 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। अदालत ने लालू प्रसाद यादव को 7 साल की सजा दी थी और ₹60 दंड भी लगाया था साथ ही दोनों सजाओ में अलग-अलग चलाने का भी आदेश दिया था। लालू प्रसाद यादव सजा के कुल 14 साल हो गए हैं।