मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके करीबियों से जुड़े शेल कंपनी और खनन लीज मामले में झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को विडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई। वहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई 5 जुलाई मंगलवार को होगी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. रविरंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा और राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा, जबकि ईडी की ओर से प्रशांत पल्लव और प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की ओर से राजीव रंजन ने कोर्ट में पक्ष रखा।
कोर्ट में शेल कंपनी का कई ब्यौरा दिया गया
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट में शेल कंपनी का कई ब्यौरा दिया गया, जिसमें करोड़ों रुपये की लेन-देन का जिक्र करते हुए शेल कंपनी में सीएम हेमंत सोरेन, विधायक बसंत सोरेन, अभिषेक पिंटू, पंकज मिश्रा और रवि केजरीवाल की ओर से निवेश का दावा किया गया। शेल कंपनी मामले की सुनवाई के दौरान किसी अन्य याचिका का जिक्र करने पर अधिवक्ता राजीव कुमार ने खेद किया। राजीव कुमार ने बताया कि डीसी गढ़वा ने अपनी सास के नाम पर माइनिंग लीज ली थी, हालांकि बाद में उसे वापस ले लिया गया था, इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई थी।
झारखंड हाईकोर्ट में एक सीलबंद लिफाफा पेश किया था
गौरतलब है कि मनरेगा में वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े पीआईएल पर सुनवाई के दौरान ईडी ने झारखंड हाईकोर्ट में एक सीलबंद लिफाफा पेश किया था। ईडी की दलील थी कि उसके पास शेल कंपनी से जुड़े कई अहम साक्ष्य हाथ लगे हैं, लिहाजा, सीएम से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनी से जुड़े पीआईएल को भी एक साथ सुना जाना चाहिए।
ईडी के स्टैंड को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों केस के मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए झारखंड हाई कोर्ट को आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में खनन लीज से जुड़े पीआईएल संख्या 727 और शल कंपनी से जुड़े पीआईएल संख्या 4290 को मेंटेनेबल बताया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद दोनों केस के मेरिट पर सुनवाई का रास्ता साफ हो गया था।