[Team insider] राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने झारखंड की हेमंत सरकार पर अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए भाषा विवाद का षडयंत्र रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने झारखंड की नयी नियोजन नीति से उत्पन्न भाषा विवाद की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि भारत एक बहुभाषी देश है, भाषा की बहुलता को लेकर कभी कोई कठिनाई पैदा नहीं हुई। लेकिन हेमंत सरकार नियोजन नीति के बहाने भाषा विवाद को जन्म देकर झारखंड के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
अपने चुनावी वादों पर पर्दा डाल रही है सरकार
सरकार नई नियोजन नीति लाकर युवाओं को भटकाने की कोशिश कर रही है। दरअसल, भाषा विवाद का मुद्दा उठाकर सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने का प्रयास कर अपने चुनावी वादों पर परदा डाल रही है। नियोजन नीति पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हुए कहा है कि उच्च न्यायालय में नयी नियोजन नीति का रद्द होना लगभग तय है।
वादे पूरे करने में हाथ पैर फूल रहे हैं सरकार के
झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन की कांग्रेस पार्टी तथा झामुमो ने चुनाव के दौरान जनता से कई लोकलुभावन वादे किए थे। इन वादों में झारखंड के युवाओं को 26 लाख नौकरियां देना शामिल है। अब ये डपोरशंखी चुनावी वादे पूरे करने में सरकार के हाथ पैर फूल रहे हैं। झारखंड की जनता और युवाओं की को उलझाने के लिए भाषा विवाद उत्पन्न किया गया है।
नई नीति ने भाषा विवाद को दिया जन्म
उन्होंने 14 जुलाई 2016 को उनके मुख्यमंत्रित्व में राज्य सरकार द्वारा लायी गयी नियोजन नीति की चर्चा करते हुए बताया कि तब एक अधिसूचना जारी कर नियोजन नीति लागू की गई थी। इस नीति के अंतर्गत राज्य के 24 जिलों में स्थानीय निवासियों की नौकरी के लिए प्रावधान किया गया था। यह नीति 10 वर्ष के लिए बनाई गई थी। इस नीति के परिणाम स्वरूप उनकी सरकार ने राज्य के लगभग एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार ने 3 फरवरी 2021 को नियोजन नीति को रद्द कर नई नीति की घोषणा कर दी। इस नई नीति ने भाषा विवाद को जन्म दिया।