बोरियो से जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम के एक बार फिर अपनी सरकार को घेरा है। महाधिवक्ता को हटाने की मांग के साथ साथ स्थानीयता और नियोजन नीति को लेकर सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि यह अब तक तक क्यों नहीं हुआ और स्थानीय कौन है वहीं निजी क्षेत्रों में 75 फसिदी आरक्षण देने पर भी सवाल खड़े किए हैं, उन्होंने कहा कि सीएम ने कहा था जैसा छात्र चाहेंगे वैसा ही होगा।
झारखंड बचाओ मोर्चा के बैनर तले कर रहे प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा है कि उपचुनाव को देखते हुए 24 फरवरी को लेकर बंदी को स्थगित किया जाता है, 4 मार्च को हजारीबाग में प्रमंडलीय सम्मेलन और 18 मार्च को सीएनटी एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने और अवैध हस्तांतरण के खिलाफ कार्यक्रम चलेगा वही उन्होंने बताया कि 21 और 22 फरवरी को मरांग बुरु की पूजा है ऐसे में 13, 14 को व धरना देंगे और 15 को विधानसभा घेरेंगे।
स्थानीय नीति सिर्फ जुमला बन कर रह गया
लोबिन हेम्ब्रम ने स्थानीय नीति को लेकर कहा कि झारखंड के नौजवान की मांग शुरू से है कि झारखंड में स्थानीय नीति लागू किया जाए, लेकिन अब तक यह सिर्फ जुमला बन कर रह गया है। इस विधेयक को राज्यपाल ने रद्द कर दिया। एक मामला गोड्डा से सामने आया कि वहां कंपनी में बहाल करने के लिए 25 प्रतिशत से उन्हें दिया जाएगा। जबकि यह विधेयक का अभी कुछ हुआ ही नहीं है। इसके अलावा झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन के खिलाफ भी बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार से मांग करते है कि इस महाधिवक्ता को हटाया जाए, जबतक यह महाधिवक्ता रहेंगें तब तक झारखंड में स्थानीय नीति लागू नहीं हो सकती है।
मारंगबुरु झारखंड के लोगों का है और रहेगा
इसके अलावा पारासनाथ कोलेकर कहा कि उस जगह पर आदिवासियों का बहा पर्व धूमधाम से होता है। इसके अलावा यहां आदिवासी समाज के कई कार्यक्रम किये जाते है। इस स्थल को लेकर 24 फरवरी को झारखंड बंद करने का आह्वान किया था, फिलहाल उसे वापस ले लिया गया है। मारंगबुरु झारखंड के लोगों का है और रहेगा। खुद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मारंगबुरु आदिवासी का था और रहेगा लेकिन हाल में जो सामने आया उसमें मुख्यमंत्री ने केंद्र को जो पत्र लिखा उसमें आदिवासी के जमीन का कोई जिक्र नहीं है। अब 14 मार्च को हजारीबाग में एक सम्मेलन किया जाएगा इसके बाद 18 मार्च को रांची में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में सीएनटी एसपीटी समेत कई मांग कोलेकर आंदोलन का शंखनाद करेंगे।
लूटी जा रही है आदिवासियों की जमीन
लोबिन ने कहा कि जब जमीन ही नहीं रहेगा तो झारखंड को अलग राज्य लेकर हम क्या करेंगे। झारखंड में अभी भी बाहरी लोग के आने का शिलशिला जारी है। नौकरी ही सिर्फ नहीं यहां बिहार के विधायक भी बन रहे है। उन्होंने कहा कि झारखंड से अच्छा हम बिहार में ही सुरक्षित थे। यहां के डीसी और कमिश्नर कहा सोए हुए है। आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है।खुद की जमीन से आदिवासी बेदखल कर दिए जा रहे है। छत्तीसगढ़ में पेशा कानून लागू हो गया झारखंड में क्यों नहीं अब तक हुआ है। झारखंड में छत्तीसगढ़ की शराब नीति लागू की जाती है,तो पेशा कानून क्यों नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार अपनी उपलब्धियों को बताए आखिर तीन वर्षों में क्या किया है। सिर्फ वृद्ध पेंशन दिया है और क्या किया है।