[ Team Insider] झारखंड विधानसभा बजट सत्र के 14वे दिन मंगलवार को सदन में भाजपा विधायक सीपी सिंह ने पुलिस और प्रशासन के अफसरों पर लगाया आरोप, कहा पुलिस अधिकारी मीना एक घटिया अफसर है। वही रांची डीसी छवि रंजन को लेकर कहा कि उन्होंने 3 लाख रुपए लेकर रिवाल्वर का लाइसेंस देने का काम किया है। जिसके बाद सदन में हंगामा होने लगा। और हंगामा को देखते हुए सदन की कार्यवाही को दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
मीना साहब एक घटिया आदमी है
वही सीपी सिंह ने कहा सदन में जिस मीणा साहब के बारे में बात हो रही है। वह मीणा साहब घटिया आदमी है। उन्होंने बताया एक बार एक सिपाही के बारे में उनसे पैरवी की थी। सिपाही का बेटा पागल है। वह रोज भाग जाता है। ऐसे में उनका रांची में ट्रांसफर कर दीजिए। इस पर मीना ने आदर पूर्वक धमकी देते हुए कहा कि ठीक है जो वो देख लेंगे । बाद में उस मीना साहब ने उसी सिपाही से कहा की सिफारिश करवाते हो, जो कैरियर बना है उसे बर्बाद कर देंगे, वही सीपी सिंह ने कहा कि ऐसे में मुझे यह कहने में कोई परहेज नहीं है कि मीना एक घटिया आदमी है।
विधायकों की हुयी बेज्जती
वहीं दूसरी तरफ मंगलवार को सदन में कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने विधायकों की बेज्जती का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सोमवार की रात गवर्नर हाउस में राज्य के सबसे बड़े पंचायत को डिनर के लिए बुलाया गया था। जहां विधायकों की काफी बेइज्जती हुई।
कार्यपालिका ने अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई
उन्होंने कहा कि सुदेश महतो लंबोदर महतो इरफान अंसारी जैसे वरिष्ठ विधायकों को बैठने तक की जगह नहीं मिली। वहां की व्यवस्था की जिम्मेदारी कार्यपालिका की थी। कार्यपालिका ने अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई। इस कारण विधायकों को बेज्जती का सामना करना पड़ा। वहीं उन्होंने कहा कि डिनर के बाद जब विधायक जाने लगे तो रमेश गिरी नाम के पुलिस पदाधिकारी ने सभी विधायकों की गाड़ियों को रुकवा दिया और एडीजी मुरारी लाल मीणा की गाड़ी को एंटर करवाया।
विधानसभा में भी विधायकों को बेज्जती का सामना करना पड़ता
अनूप सिंह ने कहा कि अधिकारियों को मालूम होना चाहिए कि विधायिका कार्यपालिका से ऊंची है। उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि डीसी और एसपी का क्या प्रोटोकोल होता है। अनूप सिंह ने सदन में कहा कि विधानसभा में भी विधायकों को बेज्जती का सामना करना पड़ता है। स्पीकर मुख्यमंत्री और मंत्री एक नंबर गेट सेंटर करते हैं। जबकि विधायकों को तीन नंबर गेट से अंदर जाना पड़ता है तब अधिकारी खड़े तक नहीं होते हैं।