राज्य में जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी महागठबंधन की सरकार 29 दिसंबर को 3 साल पूरा कर लेगी। इन 3 सालों में सरकार के साथ कई खट्टी मीठी यादें भी जुड़ी हुई है। बता दें कि इन 3 सालों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में कई ऐसी चीजें भी जुड़ी है। जिसे भुलाया नहीं जा सकता। जहां हेमंत सोरेन को खनन लीज मामले में इडी को सामना करना पड़ा, तो वहीं दूसरी और सरकार अपनी ही बनाए नीतियों में भी फेल नजर आई है। उसका सबसे बड़ा उदाहरण नियोजन नीति 2021 है।
सरकार की ओर से बनाये गये नियोजन निति 2021 को हाईकोर्ट से रद्द होने के करण युवाओं के गुस्से का शिकार होना पड़ा है। वहीं अब इसे लेकर सियासत गरमाने लगी है। एक और जहां सत्ता पक्ष सरकार को लेकर पीठ थपथपाने से पीछे नहीं हट रही है। वहीं विपक्ष की ओर से नकारा और पूरी तरह से फेल वाली सरकार बताने में पीछे नहीं हट रही है।
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इन 3 सालों में सरकार का कार्यकाल कैसा रहा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह मैं तो तय नहीं करूंगा। यह तो राज्य की जनता तय करेगी कि इन 3 सालों में सरकार का कार्यकाल कैसा रहा है। वहीं सत्ता पक्ष के कांग्रेस विधायक राजेश कश्यप ने कहा कि राज्य सरकार ने बहुत अच्छे तरीके से सरकार चलाया है। आपको तो पता ही होगा कि पिछले 2 साल कोरोना के कारण काफी प्रभावित रहा है इसके बावजूद भी हमलोग मजबूती के साथ खड़ें रहे। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के विधायक सीपी सिंह ने कहा कि सरकार को 10 में से 0 नंबर मिलना चाहिए। वहीं उनसे सत्ता की ओर से ईडी और सीबीआई ने सरकार को अस्थिर करने के सवाल पर कहा कि यह तो वही बेहतर बता सकते हैं, जिनसे पूछताछ होती है और हमें यह बताने में शर्म आती है कि हमारे राज्य के मुख्यमंत्री को इडी भी पूछताछ के लिए बुलाती है।
लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति बिल्कुल चिंताजनक रही
वहीं आजसू के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी पर सरकार के 3 साल के शासन के प्रश्न पर कहा कि सरकार लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति बिल्कुल चिंताजनक रही और विकास का काम काफी बाधित रहा। जिस प्रकार से बजट खर्च नहीं हो पाया उसका साफ मतलब है कि विकास का कार्य नहीं होना है। वहीं बीजेपी विधायक अमित मंडल ने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर फेल रही है। पॉलिसी निर्धारण में कोई काम नहीं किया। ना ही नियोजन नीति बना पाई, ना 5 लाख सरकारी नौकरी दे पाई। अपने मेनिफेस्टो में जितनी बातें कही थी उसमें से वह एक भी काम नहीं कर पाय़े। इंफ्रास्ट्रक्चर में बिल्कुल भी काम नहीं हुआ।