जैन धर्मावलंबियों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र पारसनाथ पहाड़ पर मौजूद सम्मेद शिखर है। यहां जैनियों के 24 में से 20 तीर्थंकरों को निर्वाण प्राप्त हुआ था।
यहां दुनिया के हर कोने से जैन धर्मावलंबी पूजा करने आते हैं। लेकिन 2019 में तत्कालीन रघुवर सरकार ने धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में घोषित कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे ईको सेंसिटिव जोन के रूप में नोटिफाई कर दिया था। इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किये जाने से जैन समुदाय में आक्रोश था। पिछले दिनों देश के कई शहरों में जैन समुदाय के लोगों ने बड़ी रैलियां निकाली थी। उनका कहना था कि पर्यटन क्षेत्र घोषित होने से सैलानी आएंगे। मांसाहार और शराब सेवन की गतिविधियां बढ़ेंगी। इससे न सिर्फ पूजा स्थल की पवित्रता भंग होगी बल्कि अहिंसा के प्रतीक जैन धर्म की भावनाएं आहत होंगी।
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सत्तापक्ष और विपक्ष खुल कर बोले
वहीं अब इस विवाद पर राज्य में अब राजनीति गर्माने लगा है। सत्तापक्ष और विपक्ष खुल कर बोलने लगे है, बीजेपी के राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने कहा की सरकार जैन धर्म के लोगो की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है, आदित्य साहू ने कहा की सरकार को सोच समझ कर फैसला लेना चाहिए। वहीं इस मामले पर सत्तापक्ष ने कहा की हम सभी धर्मो का सम्मान करते है, सरकार में शामिल मंत्री आलमगीर आलम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा की ये सिंसेटिव मामला है और हम भी चाहते है की इस तीर्थ स्थल के आसपास मांस और मदिरा का सेवन ना हो। क्योंकि यह जैनियों का सबसे बड़ा पवित्र पर्वत माना जाता है। जहां देश विदेश से लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।