हिंदू धर्म में सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। सरस्वती पूजा के दिन ही वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर विद्या और सद्गुण प्रदान करने वाली मां सरस्वती का जन्म हुआ था। सरस्वती पूजा को लेकर पूरे उत्साह का माहौल है जहां पिछले 2 वर्षों मैं कोरोना महामारी के कारण लोगों में सरस्वती पूजा को लेकर उत्साह बंद पड़ा था लेकिन इस बार लोगों में खासकर पढ़ने लिखने वाले बच्चों में उत्साह चरम पर है।
देशभक्ति और सरस्वती मां की भक्ति में विलीन नजर आएंगे लोग
वहीं सरस्वती पूजन को लेकर मूर्तिकारों में इस वर्ष उत्साह देखने को मिल रहा है क्योंकि कोरोना महामारी के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार मूर्तिकार भी काफी खुश नजर आ रहे हैं। इस वर्ष काफी आर्डर आए हैं अब शेष कुछ ही दिन बचे हैं ऐसे में मूर्तिकार भी प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। सबसे खास बात यह है कि सरस्वती पूजा 26 जनवरी को पढ़ रही है ऐसे में एक तरफ देशभक्ति तो दूसरी तरफ सरस्वती पूजा की भक्ति में लोग विलीन नजर आएंगे।
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इस वर्ष बढ़ी मूर्तियों की मांग
बता दें कि इससे पूर्व वर्ष 1985 वर्ष 1996 और वर्ष 2004 में भी दोनों पर्व एक साथ मनाए गए थे। इस बार भी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा एक साथ मनाए जाएंगे बता दें कि इस साल 25 दिसंबर के बाद से ही मूर्तियों की अग्रिम बुकिंग हुई है। और 3 से 14 फीट तक की प्रतिमाओं की अधिक मांग है। रांची यूनिवर्सिटी के यूजी और पीजी हॉस्टल में होने वाली पूजा को लेकर 14 फीट से अधिक ऊंचाई वाली मूर्तियों की बुकिंग कराई गई है। वहीं गली मोहल्लों के लिए 10 से 12 फीट की मूर्तियों को बुक कराया गया है। इस बार रांची के आसपास के इलाकों में भी मूर्तियों की मांग बढ़ी है।