राजधानी रांची के स्थित जैप वन के जवानो ने बंदूक से फायरिंग कर मां दुर्गा को सलामी दी। जैप वन ग्राउंड मे विधि विधान के साथ कलश स्थापना की गई है। जैप 1 के कमांडेंट वाई एस रमेश अपनी पत्नी के साथ कलश स्थापना पूजा में शामिल हुए। जवानों का पूजा बिल्कुल ही अनोखा होता है। वह अपने अस्त्र शास्त्र का विशेष रूप से पूजा करते हैं। वही नवमी के दिन बलि प्रथा के साथ पूजा के समापन की जाती है। नक्सलियों से लोहा लेने और वीआईपी सुरक्षा की कमान संभालने वाले गोरखा जवान पूरे नवरात्र मां दुर्गा के भक्ति में डूबे रहते है. गोरखा जवानों ने नवरात्र के पहले दिन सोमवार को पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना कर मां दुर्गा को फायरिंग कर सलामी दी गई.
हर जगह जवानों की रक्षा करती है मां दुर्गा
गोरखा जवानों के हथियारों की पूजा के पीछे ऐसी मान्यता रही है की गोरखा और नेपाली संस्कृति पुरातन समय से ही शक्ति के उपासक रहे है. ऐसे में बलि की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और अब इनकी संस्कृति का हिस्सा बन गई है. जवानों के मन में विश्वास है की शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से वे हर जगह जवानों की रक्षा करती है. इसलिए वे हर पूजा में मां दुर्गा को बलि अर्पित करते है और उनके सम्मान में गोलिया चालते है.
1880 से विधि विधान से होता आ रहा है मां दुर्गा की पूजा
करीब 142 वर्षो से प्रत्येक वर्ष यहा पूजा होता आ रहा है, शक्ति के उपासक गोरखा जवानों का नवरात्र पूजा का इतिहास सदियों से चला आ रहा है। नवरात्र में मां दुर्गा उपासना अंग्रेजों के जमाने से 1880 से ही यहां पर मां का दरबार सज रहा है। अस्त्र शस्त्र का पूजा इसलिए किया जाता है कि इनका मानना है कि दुश्मनों उसे जब लोहा लेते समय कभी धोखा नहीं मिला है। मां दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है।