मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राजभवन पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल में मंत्री आलमगीर आलम, जगन्नाथ महतो, बादल पत्रलेख, सत्यानंद भोक्ता, मिथिलेश ठाकुर, माले विधायक विनोद सिंह, विधायक दीपिका पांडेय सिंह, सुदिव्य कुमार सोनू, मथुरा महतो समेत झामुमो और कांग्रेस के कई विधायक मौजूद थे। मुलाकात के दौरान राज्यपाल से मांग की गई कि झारखंड विधानसभा द्वारा बीते नवंबर माह में पारित 1932 खतियान विधेयक और आरक्षण विस्तार बढ़ाने संबंधी दोनों विधेयकों को झारखंड के लोगों के हित में केंद्र सरकार को भेजने की दिशा में कदम बढ़ाएं।
मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से की थी अपील
इससे पहले मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों को उनका हक और वंचितों को आरक्षण देने के लिए सभी दलों के नेताओं और निर्दलीय विधायकों को प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने की अपील की थी। हालांकि भाजपा नेताओं ने पहले ही इससे दूरी बनाने के संकेत दे दिये थे। अपने लिखे पत्र में हेमंत सोरेन ने झारखंड में पदों और सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण विधेयक, 2022 और झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022 को आगे की कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को भेजने का अनुरोध राज्यपाल से किया था। इसके लिए सभी दलों के नेताओं से प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री का मानना है कि उपरोक्त विधेयकों को शीघ्र कानून का रूप मिलने से राज्य के लोगों को उनका अधिकार और हक मिल पाएगा।
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मुख्यमंत्री ने कहा पहले भी कई बार नीतियां बनी हैं
राज्यपाल से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के युवाओं को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए पहले भी कई बार नीतियां बनी हैं, लेकिन हर बार हाईकोर्ट के द्वारा नीतियों को रद्द कर दिया गया। इस बार भी हमने ऐसा प्रयास किया, लेकिन हमें पहले से ही पता था कि राज्य में कुछ ऐसी षड्यंत्रकारी शक्तियां है जो येन केन प्रकारेण झारखंड के आदिवासी-मूलवासी के अधिकारों को रोकने का काम करेंगी।