खुद के नाम माइनिंग लीज के मामले में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विधानसभा से सदस्यता समाप्त होने के शोर और राजनीति तूफान के बाद खामोशी है। चुनाव आयोग से पत्र आये 21 दिन होने को आये मगर राज्यपाल चुप्पी साधे बैठे हैं। राजभवन की खामोशी शक पैदा हो रहा है, सवाल खड़े हो रहे हैं। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में हेमन्त सोरेन की विधायकी खत्म होने को लेकर अखबार रंगे रहे, सोशल मीडिया में पूरे देश में खबरें लहराती रहीं मगर छोटी-छोटी बात मुलाकात पर प्रेस रिलीज जारी करने वाला राजभवन खामोश रहा।
खबर से सही या गलत होने को लेकर कोई मैसेज जारी नहीं किया। चुनाव आयोग के मंतव्य पर राजभवन के फैसले की कोई मियादी नहीं तय की जा सकती मगर यह खामोशी कितने दिन। राज्यपाल के इस अनिश्चय के कारण सत्ताधारी नेताओं हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के आरोप भी लगाये।
शिष्टमंडल राजभवन जाकर राज्यपाल से मिला
कई दिनों के इंतजार के बाद जब राजभवन का फैसला नहीं आया तो यूपीए गठबंधन के नेताओं का शिष्टमंडल एक सितंबर को राजभवन जाकर राज्यपाल से मिला। तब आधिकारिक तौर पर यह खबर पुष्ट हुई कि चुनाव आयोग से राजभवन कोई पत्र आया है। शिष्टमंडल को राज्यपाल ने कहा कि एक-दो दिनों में निर्णय से अवगत करा दिया जायेगा। राज्यपाल के आश्वासन को भी 14 दिन होने जा रहे हैं। यूपीए शिष्टमंडल से मुलाकात के अगले दिन दो सितंबर को राज्यपाल दिल्ली चले गये। एक सप्ताह बाद आठ सितंबर को लौटे।
लोगों को लगा कि दिल्ली में वे विधि वेत्ताओं से परामर्श और भाजपा नीति निर्धारकों से रायशुमारी करने गये हैं। लौटने के बाद फैसला आयेगा। वापसी के बाद भी राज्यपाल खामोश रहे तो झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टार्चा को कहना पड़ा खुद की सेहत के सथ राज्य के राजनीतिक सेहत का ध्यान रखते हुए अच्छा-बुरा, सादा-काला जो भी है उसे जनता के सामने पेश किया जाना चाहिए। भाजपा जनता में भ्रम फैला रही है।
इस मामले में अपेक्षित कानूनी आधार नहीं मिल रहा है
जानकार मान रहे हैं कि राजभवन को इस मामले में अपेक्षित कानूनी आधार नहीं मिल रहा है, खामोशी की असली वजह यही है। कहीं ऐसा न हो कि हड़बड़ी में लिया गया फैसला अदालत में टिक न सके। राजभवन नहीं चाहता कि अपरिपक्व फैसले से उसकी फजीहत हो। रांची के अनगड़ा स्थित जिस माइनिंग लीज को आधार बनाया गया है उस खनन पट्टा को आधार बनाया गया है वह पट्टा भाजपा के रघुवर सरकार के कार्यकाल में हेमन्त सोरेन के पास था। अपने नामांकन के समय भी हेमन्त सोरेन ने संपत्ति घोषणा में इसका जिक्र किया था। उस लीज का नवीकरण हुआ था जिसे विवाद उठने के बाद सरेंडर कर दिया गया।
एक छटांक भी खुदाई नहीं हुई है, बिजली कनेक्शन और जीएसटी नंबर तथा कंसेंट टू ऑपरेट भी नहीं लिया गया। झामुमो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों के हवाले कह चुका है कि माइनिंग लीज ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला नहीं बनता। फरवरी महीने में ही भाजपा ने हेमन्त सोरेन द्वारा खुद के नाम माइनिंग लीज लेने के मामले को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंप उनकी विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया था। जिसे राज्यपाल ने मंतव्य के लिए चुनाव आयोग को भेज दिया था।
चुनाव आयोग का पत्र राजभवन पहुंचने को लेकर किया टि्वट
कथित निजी दौरे से राज्यपाल 25 अगस्त को दोपहर बाद दिल्ली से लौटे मगर उसी दिन सुबह में ही गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने चुनाव आयोग का पत्र राजभवन पहुंचने को लेकर टि्वट किया तो यहां की राजनीति में हलचल मच गई। एक सप्ताह पहले भी निशिकांत दुबे ने चुनाव आयोग में चल रहे मामलों के हवाले बरहेट और दुमका में उप चुनाव यानी हेमन्त सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की विधायकी जाने की भविष्यवाणी की थी। अपने मजबूत सूचना तंत्र के हवाले निशिकांत ईडी रेड के बारे में भी टि्वटर पर मीडियाकर्मियों से पहले खबरें ब्रेक करते रहे हैं।
ऐसे में चुनाव आयोग का पत्र राजभवन पहुंचने की खबर को भी उन्होंने ब्रेक किया। तत्काल निर्दलीय विधायक सरयू राय ने भी एक कदम आगे बढ़कर सूत्रों के हवाले टि्वट किया हेमन्त सोरेन द्वारा खनन पट्ट लेना पद का लाभ लेना माना है और इन्हें अयोग्य ठहराने की अनुशंसा की है। पद का लाभ भ्रष्ट आचरण है या नहीं यह राज्यपाल को देखना है। भ्रष्ट आचरण होने पर पांच साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराने का प्रावधान है।
सीएमओ को न चुनाव आयोग से कोई पत्र आया न राजभवन से
हेमन्त सोरेन को सोशल मीडिया में अपनी सदस्यता खत्म होने का समाचार नागवार गुजरा तो एतराज जताते हुए कहा कि सीएमओ को न चुनाव आयोग से कोई पत्र आया न राजभवन से। लगता है भाजपा के सांसद और भाजपा कार्यालय में मजमून तैयार हुआ है। हालांकि पक रही सियासी खिचढ़ी का भान उन्हें भी था। सरकार गिराने की साजिशों को लेकर लगातार घटना क्रम हो रहे थे। कोलकाता में भी तीन कांग्रेसी विधायक कैश के साथ पकड़े गये थे। इसलिए 20 अगस्त को ही उन्होंने यूपीए विधायको की बैठक की। 25 अगस्त की खबर के बाद लगातार यूपीए विधायकों की बैठकें करते रहे।
खूंटी से रायपुर तक की यात्रा कराई। किसी खतरे के अंदेशा और मिले हुए समय का वे भरपूर लाभ उठाते हुए चुनावी वादों और वोट को प्रभावित करने वाले फैसले लगातार करते रहे, कर रहे हैं। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत भी हासिल कर लिया। पूरे मामले में भाजपा नेताओं की फजीहत हुई और संकट में घिरे हेमन्त मजबूत होकर उभरे हैं। झामुमो के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो आज के दिन सत्ता चली जाती, चुनाव का मौका भी आता है तो हेमन्त अपना टास्क पूरा कर चुके हैं।