RANCHI: गोंदा डैम के बगल में हथिया गोंदा ग्राम जहां ग्रामीण सैकड़ों वर्षों से पत्थर पर बैठे हाथी की पूजा कर रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व हाथियों का 1 झुंड गोंदा पहाड़ से गुजर रहा था। उसी दौरान देवी के प्रकोप के कारण हाथियों के झुंड में से एक हाथी पत्थर पर वही विराजमान हो गए।
बलि चढ़ाने की है प्रथा
गांव वालों को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने पूजा शुरु कर दी। पूजा शुरू करते हैं ही गांव की काया पलट गई। सभी गांव वालों की खेती से लेकर व्यापार तक बढ़ गया। तब से ग्रामीण यहां हर मकर सक्रांति के दिन बलि चढ़ाते हैं। साथ ही साथ गांव में जब बच्चा पैदा होता है तब नवजात बच्चे का इस मंदिर में मुंडन भी कराया जाता है। हर मंगलवार को गांव के ग्रामीणों के द्वारा इसकी पूजा की जाती है। गांव वाले बताते हैं पूर्वजों के द्वारा यहां पूजा की जाती थी और रांची के विभिन्न इलाकों से लोग यहां पूजा करने पहुंचते थे। लेकिन 20 से 30 वर्षों में रांची में नए लोगों का आगमन के कारण इस मंदिर को भुला दिया गया। लेकिन जो रांची में पुराने लोग है वे आज भी यहां पूजा करने पहुंचते हैं।