Team Insider: गोपालगंज(Gopalganj) में बेखौफ अपराधियों(Criminals) ने मुखिया की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी। घटना थावे थाना क्षेत्र के धतीवना गांव का है। मृतक धतीवना पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया 32 वर्षीय सुखल मुशहर बताये गए हैं। पंचायत चुनाव में वर्चस्व की लड़ाई में हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया। वहीं हत्या के बाद आक्रोशित जनप्रतिनिधियों ने अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए सड़क जाम कर दिया। साथ ही नगर थाने के आंबेडकर चौक के पास शव को सड़क पर रखकर जमकर हंगामा भी किया।
अपराधी फरार
वर्चस्व की लड़ाई में बेकसूर मुखिया की हत्या ने उसके परिवार को आंसूओं में डूबो दिया है। वारदात इतनी खतरनाक थी कि इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। बताया जाता है कि आज यानी 18 जनवरी सुबह 6.39 बजे बाइक सवार दो अपराधी पिस्टल से फायरिंग करते हुए मुखिया के दरवाजे पर पहुंचे। वहीं उन दोनों ने मुखिया सुखल मुशहर को पकड़कर पहले चाकू मारा, फिर गोली मार दी। जिससे मौके पर ही मुखिया की मौत हो गयी। साथ ही वारदात के बाद अपराधी फरार हो गए।
अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी
बता दें की मृतक मुखिया सुखल मुशहर गांव के ही पूर्व मुखिया सत्यप्रकाश सिंह के यहां रहते थे। परिवार वालों के मुताबिक चुनावी रंजिश में हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया है। वहीं इस मामले में कुख्यात अपराधी अजय सिंह, उज्जवल सिंह, कामेश्वर सिंह और कामाख्या कुमार सिंह का नाम सामने आया है। हालांकि घटना की जांच करने सदर अस्पताल पहुंचे सदर एसडीपीओ संजीव कुमार ने कहा कि वारदात में संलिप्त अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। साथ ही उन्होंने बताया इस घटना की वजह चुनावी रंजिश है। पुलिस के मुताबिक चार लोगों के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज किया गया है।
हत्या के बाद राजद ने किए सुशासन सरकार से सवाल
वहीं मुखिया की हत्या के बाद राजद ने सुशासन सरकार पर सवाल खड़े कर दिए है। राजद के प्रदेश महासचिव रेयाजूल हक राजू ने कहा कि पूरे बिहार में लगातार नवनिर्वाचित मुखियाओं की हत्या हो रही है ऐसे में सरकार क्या कर रही। साथ ही राजद ने मुशहर जाति के मुखिया की हत्या में संलिप्त अपराधियों की 24 घंटे में गिरफ्तारी करने का अल्टीमेटम दिया है। यहीं नहीं गिरफ्तारी नहीं होने पर सड़क पर उतरने की बात भी कही है।
इससे पहले भी हत्या के कई मामले सामने आए हैं
हालांकि गोपालगंज में जनप्रतिनिधियों की हत्या का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले मीरगंज थाने के सबेया में 10 जनवरी को बीडीसी गयासुद्दीन खान उर्फ मुन्ना की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। जिसमें पुलिस सात अभियुक्तों में से अबतक एक को ही गिरफ्तारी कर सकी है। वहीं दूसरी तरफ फुलवरिया थाने के पांडेय परसा के बीडीसी सरफराज मियां को चार दिसंबर को गोली मार दी गयी थी। जिसमें अबतक एक अपराधी की गिरफ्तारी हुई है। लगातार नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर हो रहे हमले से पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है की आखिर प्रसाशन कर क्या रही।