बिहार के सीएम नीतीश कुमार का हिंदी भाषा से लगाव किसी से छुपा नहीं है। कई बार ऐसा देखने को मिला है कि वो इंग्लिश की जगह हिंदी भाषा को तरजीह देते दिखे हैं। ऐसा ही कुछ 19 दिसंबर को हुई I.N.D.I.A की बैठक में भी देखने को मिला। जिसमें DMK के नेता टीआर बालू ने नीतीश कुमार द्वारा हिंदी में दिए का रहे बयान को इंग्लिश में ट्रांसलेट करने की मांग की। जिसपर नीतीश कुमार भड़के और ये कह दिया कि हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं। हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमें यह भाषा आनी चाहिए। नीतीश कुमार के इसी बयान को लेकर बवाल मचा हुआ है। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने भी नीतीश कुमार को कड़ी नसीहत देते हुए ऐसे बयानों से बचने के लिए कहा है।
“हिंदुस्तान का मतलब हिंदुओं की भूमि, हिंदी की जमीन नहीं”
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने ट्वीट कर नीतीश कुमार के बयान पर आपत्ति जताई है। उन्होंने ट्वीट में लिखा “आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी,हिंदुस्तान का मतलब वह भूमि है। जो हिमालय और इंदु सागर के बीच स्थित है या हिंदुओं की भूमि है न कि हिंदी भाषा की भूमि। राज्यों का भाषाई विभाजन इस समझदारी के साथ किया गया था कि देश में सभी भाषाओं को एक ही दर्जा प्राप्त होगा, भले ही उन्हें बोलने वाली आबादी में बड़ा अंतर हो। आपसे आदरपूर्वक अनुरोध है कि ऐसे तुच्छ बयानों से बचें क्योंकि ऐसे कई राज्य हैं जिनकी अपनी भाषा, साहित्य और संस्कृति जुड़ी हुई है।”
I.N.D.I.A की बैठक में हिंदी के ट्रांसलेशन पर भड़के नीतीश
दरअसल, I.N.D.I.A की बैठक में नीतीश कुमार ने हिंदी में अपनी बात कहनी शुरू की। जिसपर DMK नेता टीआर बालू ने राजद प्रवक्ता मनोज झा की तरफ इशारा किया। टीआर बालू ने मनोज झा से नीतीश कुमार की बात को इंग्लिश में ट्रांसलेट करने की मांग की। इस मांग पर नीतीश कुमार भड़क गए। उन्होंने कहा कि हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं। हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमें यह भाषा आनी चाहिए। नीतीश कुमार के इतना कहते ही CPI नेता डी राजा ने बीच बचाव किया। उन्होंने कहा कि भाषा के मुद्दे को बीच में नहीं लाना चाहिए। उसके बाद यह मुद्दा शांत हो गया।
विधान परिषद् में इंग्लिश पर भड़के नीतीश
नीतीश कुमार इसी साल 20 मार्च को विधान परिषद् में इंग्लिश को लेकर भड़क गए थे। विधान परिषद में प्रश्नोत्तर काल के दौरान सदन के अंदर डिस्प्ले बोर्ड पर अंग्रेजी में लिखे नाम को देखते ही नीतीश कुमार गुस्सा हो गए। कुमार नागेंद्र के प्रश्न के दौरान हस्तक्षेप करते हुए नीतीश कुमार ने सदन में खड़े होकर सभापति की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इसमें सुधार लाइये, क्या हिंदी को खत्म ही कर देना चाहते हैं?
“अंग्रेज का शासन नहीं चल रहा“
इसी साल 27 सितंबर को नीतीश कुमार बांका में जीविका दीदियों द्वारा संचालित किया जाने वाले नवनिर्मित वातानुकूलित कैफेटेरिया का भी जायजा लेने पहुंचे थे। इस दौरान वहां लगे बोर्ड पर नीतीश कुमार की नजर गई, जिसपर इंग्लिश भाषा में लिखा हुआ था। जिसके बाद नीतीश कुमार ने तत्काल बोर्ड को हिंदी में करवाने का निर्देश दिया। उन्होंने साफ कहा कि अंग्रेजो के शासन खत्म हुए दशकों बीत गए, पर लोगों की मानसिकता नहीं बदली। हम लोग भी तो अंग्रेजी में ना पढ़ते थे, जवाब अंग्रेजी में देते थे, पढ़ाई अंग्रेजी में करते थे।
वो सब छोड़िए न, हमको अंग्रेजी से कोई दिक्कत है। हमारी इच्छा है हम सब बराबर करें। जब हम केंद्र में थे तो हम सिर्फ हिंदी में लिखते थे समझ गए तो आप कहे लिख रहे हैं यह सब, चेंज कीजिए। उन्होंने आगे कहा कि हिंदी के महत्व को आप लोग खत्म कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि ये गलत है। यहां अंग्रेज का शासन नहीं चल रहा है।