सारण के मांझी थाना क्षेत्र के मुबारकपुर में तीन युवकों की जमकर पिटाई की गई थी। जिसके बाद एक युवक की मौत हो गई बाकि दोनों युवाओं का इलाज फिलहाल अस्पताल में चल रहा है। दोनों की स्थति काफी नाजुक बनी हुई है। इस घटना के बाद इलाके में काफी तनाव का माहौल है। विवाद जातीय रंग लेता हुआ दिखा। जिसके बाद वहां प्रशासन द्वारा धारा 144 लागू की गई। वही 8 फरवरी तक कई सोशल साइट्स पर भी पाबंदी लगा दी गई है। वहीं दूसरी तरफ इस घटना को लेकर सियासत भी गरमाई हुई है। इसी कड़ी में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सारण में हुई हिंसा में राजद की संलिप्तता होने की बात कही है।
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“बिहार में बढ़ी जातीय संघर्ष”
पूर्व उपमुख्यमंत्री व बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सारण की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। ऐसी ही एक घटना कुछ दिनों पहले गोपालगंज से भी सामने आई थी। जिसके बाद सांप्रदायिक तनाव फैला था। वहीं अब सारण की घटना से जातीय हिंसा का रूप ले रही है। सारण में स्थिति इतनी खबर हो गई कि वहां इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ी है। इस तरह की घटना लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि बिहार में जातीय संघर्ष बढ़ता जा रहा है और इसमें कहीं ना कहीं राजद के लोग जुड़े हुए हैं।
ये है पूरी घटना
मॉब लिंचिंग का शिकार बने युवक भी मांझी थाना क्षेत्र के मुबारकपुर गांव निवासी ही हैं। जिनमें मृतक की पहचान जयप्रकाश सिंह के पुत्र अमितेश कुमार सिंह एवं उदय नारायण सिंह के 25 वर्षीय पुत्र आलोक कुमार सिंह उर्फ विक्की है के रूप में की गई है। वही जिंदगी और मौत से जूझ रहे युवक की पहचान संजय सिंह के 22 वर्षीय पुत्र राहुल कुमार सिंह के रूप में हुई है। इन तीनों का कोई आपराधिक इतिहास ज्ञात नहीं है।
बता दें कि मांझी थाना क्षेत्र के मुबारक गांव निवासी मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव के द्वारा यह बात फैलाई गई कि उनके ऊपर मॉब लिंचिंग के शिकार तीनों युवक हत्या की नीयत से फायरिंग कर रहे थे और उनके द्वारा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर तीनों को पकड़कर अपने मुर्गी फार्म बंद किया गया था। जहां तीनों युवक मॉब लिंचिंग का शिकार हुए। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि जिस जगह पर मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव का दावा कर रहे हैं, वहां से एक भी हथियार बरामद नहीं की गई है। जिस कारण मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव संदेह के दायरे में हैं। इसके बड़ा मामले ने जातीय रंग पकड़ लिया और इलाके में हलकी-फुल्की हिंसा भी हुई। जिसके बाद से ही प्रशासन अलर्ट मोड पर है।