DHANBAD: धनबाद शहर के प्रतिष्ठित एसएसएलएनटी महिला महाविद्यालय में शनिवार को कालेज परिसर में इतिहास विभाग की प्रोफेसर वीणा शर्मा के द्वारा किया गया सुसाइड का प्रयास पूरी तरह से राजनैतिक रंग ले चुका है। वीणा शर्मा ने प्राचार्य पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। वहीं प्राचार्य ने इसे विश्वविद्यालय प्रबंधन की साजिश बताया। ABVP ने प्राचार्य शर्मिला रानी को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कॉलेजों के बाहर प्रदर्शन किया और NSUI प्राचार्य के समर्थन में कुलपति का पुतला फूंकने पहुंच गया। इतना ही नहीं रात्रि लगभग साढ़े 8 बजे प्राचार्य कक्ष में वार्ता के दौरान यूनिवर्सिटी से आये कुलसचिव एवं DSW के सामने ही प्राचार्य के विरोध मेंABVP और आजसू से जुड़े छात्र नेता आपस में धक्का-मुक्की करने लगें। दोनो ने एक दूसरे को देख लेने की धमकी दी तो पुलिस प्रशासन एक्टिव हुआ और दोनो छात्र संघ से जुड़े छात्र नेताओं को कैम्पस से बाहर निकाला।
मामले की जांच कराने की मांग
ज्ञापन सौंपने के बाद आजसू छात्र संघ के विशाल एवं NSUI के गोपाल कृष्ण चौधरी ने बताया कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। इसमें जो भी जिम्मेवार है उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। कहीं ना कहीं प्राचार्य को फंसाने का कार्य किया जा रहा है। शिक्षण संस्थान में इस तरह के कार्य सही नहीं है। जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के जिला संयोजक नीरज निखिल ने बताया कि प्राचार्या अक्सर विवादों में रही हैं इनके प्रताड़ना से तंग आकर शिक्षिका ने सुसाइड करने का प्रयास किया है विश्वविद्यालय की कमिटी के द्वारा हर बिंदुओं पर जांच कमेटी बनाकर जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
प्राचार्य शर्मिला रानी ने दी सफाई
पूरे मामले में प्राचार्य शर्मिला रानी सफाई देती नजर आई और उन्होंने पूरे घटना क्रम को पूर्व निर्धारित साजिश बताते हुए अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को बेबुनियाद और बकवास बताया। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उनका पेमेंट पिछले 2 माह से नहीं हुआ था। गौरतलब है कि पिछले दिनों बीबीएमकेयू विश्वविद्यालय प्रबंधन ने प्राचार्य का तबादला बीएसके कॉलेज मैथन में कर दिया था। लेकिन शर्मिला रानी ने राजभवन का सहारा लेकर न सिर्फ तबादला रुकवाया बल्कि कुलपति के ऊपर भी राजभवन से जांच कमेटी का गठन करवा दी थी। इधर प्राचार्य के ऊपर प्राध्यापक वीणा शर्मा के द्वारा लगाया गया आरोप और छात्र संगठनों के बीच शुरू हुई समर्थन और विरोध की राजनीति कहीं ना कहीं इस घटना को भविष्य में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाएगी। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है । फिलहाल पूरे मामले में विश्वविद्यालय प्रबंधन और राजभवन क्या जांच कर कार्रवाई करती है यह देखना लाजमी होगा।