बिहार में नई शिक्षा नियमावली लागू होने के बाद से ही शिक्षक अभ्यर्थी में आक्रोश है। नई शिक्षा नियमावली के आने के बाद से ही कई बार शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए, इसके बावजूद भी सरकार पर इसका कोई असर नहीं हुआ। हालांकि अब इसमें थोड़े से बदलाव किया गया है, जिसके बाद अभ्यर्थियों में आक्रोश पहले से ही कही अधिक बढ़ गया है। जिसको लेकर आज राज्य भर के शिक्षक अभ्यर्थी महाआंदोलन करेंगे। बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के आवाहन पर इस आंदोलन में सीटेट, बीटेट, एसटीइटी पास अभ्यर्थी जुड़ेंगे।
डोमिसाइल नीति हटाने से अभ्यर्थियों में है आक्रोश
दरअसल, बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों के पदों पर बहाली होने वाली है। जिसमें सरकार ने संशोधन कर डोमिसाइल नीति को हटा दिया है। डोमिसाइल नीति हटाने से शिक्षक अभ्यर्थी में काफी आक्रोश है। शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति हटाने के विरोध में अभ्यर्थी शनिवार को महाआंदोलन करेंगे। इस आंदोलन में राज्य भर के अभ्यर्थी शामिल होंगे। और राजभवन मार्च करेंगे। इसके साथ ही अभ्यर्थी विधानमंडल सत्र शुरु होने के बाद विधानसभा और विधायकों के आवास का घेराव करेंगे।
“बिहार में नहीं मिलते गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षक”
इसके साथ ही शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान को लेकर अभ्यर्थी में काफी आक्रोश देखा गया है। शिक्षा मंत्री ने बिहारी के युवाओं पर सवाल खड़ा किया था। उनका कहना है कि डोमिसाइल हटाया गया है क्योंकि बिहार में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षक नहीं मिलते है। इसको लेकर बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष नितेश पांडे और अनीश सिंह का कहना है कि सरकार बिहार के युवाओं के प्रतिभा पर सवाल उठा रही है, जबकि हकीकत यह है कि चार वर्षों से तमाम जरूरी योग्यता के बावजूद सरकार इन विषयों के शिक्षकों की बहाली नहीं कर रही है। लेकिन हम सरकार की दमनकारी नीति के विरुद्ध महाआंदोलन करेंगे। जिसमें पूरे बिहार के शिक्षक अभ्यर्थी पटना की सड़कों पर उतरेंगे और राजभवन का घेराव करेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लाखों शिक्षक अभ्यर्थी डोमिसाइल नीति हटने से आक्रोशित हैं। सरकार उनका रोजगार छीनकर दूसरे प्रदेश के लोगों को दे रही है, जो कहीं से उचित नहीं है। इसी को लेकर बिहार के लाखों शिक्षक 11 जुलाई को बिहार विधानसभा का घेराव करेंगे। साथ ही 12 जुलाई को पटना में बिहार के तमाम विधायकों के आवास का घेराव करते हुए अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपेंगे, जिससे उनके क्षेत्र के विधायक उनकी मांगों को विधानसभा में रख सकें। अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो पूरे बिहार में हड़ताल, चक्काजमा और सरकारी स्कूलों में तालाबंदी करेगें।