RANCHI : बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा की संकल्प यात्रा शुरू हो रही है। 17 अगस्त से शरू हो रही संकल्प यात्रा को लेकर प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल ने कहा कि यह यात्रा इसलिए जरूरी है क्योंकि राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त करना है। राज्य का सीएम भ्रष्ट है, तो वह कैसे भ्रष्टाचार को रोकेगा। मेरे पास एक कागजात है कि इन्होंने जमीन खरीदी है। साल 2002 में अपने नाम में कुमार जोड़ा है और हेमंत कुमार सोरेन कर दिया है। पिता शिबू सोरेन का नाम बदलकर शिव सोरेन कर दिया है। दुर्गा सोरेन का नाम दुर्गा प्रसाद सोरेन कर दिया है। बसंत सोरेन का नाम बसंत कुमार सोरेन है झारखंड में तो भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। पैसे लेने में अधिकारी डर नहीं रहे हैं, पैसा वसूलना है वसूलो। अधिकारी कहते हैं काम कराना है, तो पैसा तो देना ही होगा। झारखंड में भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है।
कल होगा संकल्प यात्रा का आगाज
दो महीने तक चलने वाली संकल्प यात्रा की शुरुआत 17 अगस्त को होगी। यह यात्रा 17 अगस्त लेकर 18 अक्टूबर तक होगी। यह यात्रा कई विधानसभा से होकर गुजरेगी। बाबूलाल मरांडी ने कहा हम राज्य में घूम- घूम कर लोगों को यह बतायेंगे और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ेंगे। यात्रा का जिक्र करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सिदो कान्हू ने जहां अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लिया था। उसी जगह भोगनाडीह से संकल्प यात्रा शुरू होगी। सत्ता में बैठे लोग आदिवासी के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं। राज्य की कानून व्यवस्था का जिक्र करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आप देख ही रहे हैं राज्य में कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है। ईडी जब जांच करती है, तो कहते हैं हम आदिवासी हैं। ईडी ने नोटिस भेजा था, ईडी जो पूछ रही है उसका जवाब दे दीजिए। एक तरफ तो गड़बड़ी करेंगे और सीनाजोरी भी करेंगे।
अटल बिहारी की देन है अलग राज्य
प्रेस कांफ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड के लिए आज खास दिन है क्योंकि आज अटल विहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है। झारखंड के साथ उनका जुड़ाव कितना था हम सभी जानते हैं। झारखंड राज्य को बनाने का श्रेय अटल विहारी वाजपेयी को जाता है। अलग राज्य बनाने की मांग देश की आजादी के बाद से ही हो रही थी। उस वक्त कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। कांग्रेस पार्टी आदिवासियों के लिए बातें तो बड़ी-बड़ी करती है लेकिन उन्होंने कभी आदिवासियों की मांग पर ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस में चाहे किसी भी सरकार हो वह यहां के आदिवासी नेताओं को गोद में बिठाते रहे खिलाते रहे लेकिन झारखंड के लिए कुछ नहीं किया।