शराबबंदी कानून एक ऐसा विषय बन गया है जिसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा ही अपने विरोधियों के निशाने पर रहते हैं। भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिनाते रहे और अपनी पीठ थपथपाते रहे। लेकिन उनके विरोधियों ने इस कानून को नीतीश कुमार पर पर हमला करने का सबसे बड़ा अस्त्र बना लिया है। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ नीतीश कुमार के विरोधी ही शराबबंदी कानून का विरोध करते हो। बल्कि महागठबंधन में उनके साथी दल के नेता भी कई बार शराबबंदी कानून पर सवाल खड़ा कर चुके हैं।
खास कर ताड़ी को भी शराबबंदी कानून में शामिल करने को लेकर विरोध और ज्यादा बढ़ गया है। ताड़ी को लेकर अलग-अलग नेताओं की अपनी सोच है। वही अब ताड़ी को लेकर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी बड़ी बात कही है। उन्होंने ताड़ी को शराब की संज्ञा में रखने को गलत बताया है।
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प्राकृतिक पदार्थ है ताड़ी
चिराग पासवान ने कहा कि शराबबंदी कानून के जरिए पासी समाज के लोगों को टारगेट किया जा रहा है। पासी समाज के लोगों पर भी शराबबंदी कानून की धारा लगाकर जेल में डाला जा रहा है। मुख्यमंत्री को ताड़ी और शराब में फर्क समझ में नहीं आता। ताड़ी प्राकृतिक पदार्थ है और उसे नीतीश कुमार ने शराबबंदी की धारा में लेकर आ रहे हैं। जो कि बिलकुल गलत है। प्राकृतिक पदार्थ बेचने वाले लोगों पर कार्रवाई किया जाना गलत है।
गरीब लोग जेल में हैं बंद
शराबबंदी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझाना चाहिए कि शराबबंदी कानून की विफलता ठीकरा वो किसी और के सर पर नहीं फोड़ सकते हैं। बल्कि ये खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अपनी नाकामी है कि उनका प्रशासन तंत्र कानून को धरातल पर नहीं उतार पा रहा है। चिराग पासवान ने आगे कहा कि शराबबंदी कानून के तहत आज लाखों लोग जेल में बंद हैं। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि इनमें से कितने लोग शराब तस्कर हैं और शराब धंधे के गिरोह से जुड़े लोग हैं। जेलों में सिर्फ समाज के गरीब वर्ग से आने वाले लोग बंद है। ऐसे लोगों पर भी शराबबंदी कानून की धारा लगाकर जेलों में बंद किया गया है जिन्होंने देश विदेश में बिहार का नाम ऊँचा करने का काम किया है।