JAMSHEDPUR: विश्व आदिवासी दिवस पर गदरा एवं उसके आसपास के गांव के आदिवासी समाज के लोगों के बीच प्राकृतिक संरक्षण के लिए बीज बॉल बनाने की पद्धति बताई गई। वहीं उन लोगों के बीच बीज बॉल भी दिया गया और पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्प भी दिलाया गया। आदिवासी समाज ही एक ऐसा समाज है जोकि पेड़ पौधे को परिवार का सदस्य के रूप में स्वीकार करते हैं। प्रकृति को वे भगवान मानते हैं। आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल व प्रीवेंशन आफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स एंड प्लांट्स (PCAP) जमशेदपुर की ओर से से पिछले 15 सालों से लगभग 1 लाख 50 हजार से भी ज्यादा पौधा का निशुल्क वितरण किया जा चुका है।
आगे बढ़ रहा आदिवासी समाज
आनंद मार्ग के सुनील आनंद का कहना है कि जब तक हम पेड़ पौधों, जीव, जंतु को अपने परिवार का सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे तब तक प्रकृति का कल्याण संभव नहीं है। इसलिए नव्य -मानवतावादी विचारधारा से समाज का कल्याण संभव है। नव्य मानवतावाद बताता है कि इस पृथ्वी पर मनुष्य ही नहीं अनेक प्रकार के पेड़, पौधे, जीव जंतु इस पृथ्वी रूपी परिवार के सदस्य है। हम इस पृथ्वी के बुद्धिमान जीव होने के नाते हमारा कर्तव्य बनता है कि सभी को परिवार सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाए। मनुष्य का परम आदर्श नव्य-मानवतावाद होना चाहिए। तभी पृथ्वी का कल्याण संभव है। इस विचार को आदिवासी समाज स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रहे है।