JAMSHEDPUR : आदिवासी समुदाय सोहराय और वंदना पर्व की तैयारियों में जोर- शोर से जुट गए है। बता दें कि दीपावली के दिन आदिवासी समुदाय सोहराय पर्व मनाते है। इस दिन इनके द्वारा बैल और धान की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सोहराय के दिन कृषि कार्य संपन्न कराने में बैल की भूमिका और उसके मेहनत से उपजे अनाज की पूजा की जाती है। इसके पूर्व लोग अपने- अपने घरों की प्राकृतिक तरीके से रंगाई- पुताई करते हैं। इसकी तैयारी पिछले एक महीना से आदिवासी महिलाओं के द्वारा की जा रही थी जहां पहले मिट्टी लाई जाती है और मिट्टी को गोंदकर घरों को आकार दिया जाता है और उसमें खूबसूरत तरीके से पेंटिंग की जाती है।
दीपावली के दिन आदिवासी किसान अपने- अपने बैलों का चुमावन करते हैं। उसके बाद अगले दिन खेतों से धान की बालियां लाकर उससे बैलों की चुमावन कर खुले मैदान में बैलों का नाच कराते हैं। बता दें कि आदिवासी समुदाय प्रकृति प्रेमी होते हैं। उनके हर पर्व- त्यौहार में प्रकृति संरक्षण का संदेश छिपा होता है। सोहराय और वंदना पर भी उन्हीं पर्व में से एक है। आधुनिकता के दौर में आदिवासी समाज आज भी परंपराओं का निर्वहन कर रहा है। यही इस समाज की खूबी है।