लंबे समय से ये खबरें आ रही थी महागठबंधन में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। आखिरकार जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद इस खबर की पुष्टि भी हो गई। मतलब 7 दलों वाले गठबंधन में से एक गाँठ खुल चुका है। दरअसल जितन राम मांझी का आरोप है कि नीतीश कुमार HAM को जदयू में विलय करना चाहते थे। इसलिए हमलोगों से उनसे रास्ता अलग कर लिया। इसके बाद जिस तरह की बयानबाजी जदयू के राष्ट्रीय ललन सिंह ने की है उसका असर महागठबंधन के अन्य दलों पर भी देखने को मिल रहा है। मांझी की पार्टी HAM को लेकर जो कुछ भी ललन सिंह ने कहा है वो भाकपा(माले) को भी बुरा लगा है। भाकपा(माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ललन सिंह को नसीहत भी दी है।
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“ललन सिंह की बात गलत”
दरअसल जिस विलय की बात को लेकर HAM ने महागठबंधन से किनारा कर लिया उसे लेकर ललन सिंह ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी पार्टियों को अपनी दुकान बंद कर लेनी चाहिए या फिर बड़ी पार्टियों में अपनी पार्टी को मर्ज कर लेना चाहिए। उनका यही बयान महागठबंधन के एक और छोटे दल को चुभ गया है। भाकपा(माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने दो टूक अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया दी है । उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी और ललन सिंह के बीच क्या चल रहा है और क्या नहीं उससे हमारी पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। लेकिन, ललन सिंह ने छोटी पार्टियों को लेकर जो बातें कही है यह गलत है।
“छोटे दल सुनते हैं आम लोगों की समस्या”
लोकतंत्र की खूबसूरती तभी है जब कई छोटे, बड़े राजनीतिक दल होंगे और सभी स्वतंत्र रूप से आम लोगों की लड़ाई लड़ेंगे। इसलिए किसी को भी छोटा कहना कहीं से भी उचित नहीं है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह कहना कि छोटे-छोटे दलों को अपनी दुकानें बंद कर लेनी चाहिए। केवल बड़े दल ही राज करेंगे यह कहीं से सही नहीं है। इससे लोकतंत्र की खूबसूरती खत्म हो जाएगी। इसके बाद लोगों का लोकतंत्र पर भरोसा नहीं रहेगा। छोटे – छोटे दल ही आम लोगों की समस्या को सुनते रहे हैं।
जेपी नड्डा के बयान पर भी दी प्रतिक्रिया
बता दें कि कुछ समय पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी छोटी राजनीतिक पार्टियों को लेकर बयान दिया था। इसे लेकर भी दीपांकर भट्टाचार्य जमकर बोले। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी के नेता जेपी नड्डा ने बयान दिया था कि एक ही पार्टी अगले 50 साल तक राज करेगी। यह लोकतंत्र में संभव नहीं है। उनको अपने अंदर से यह बात निकाल देनी चाहिए कि वो अकेले राजनीति में रहेंगे।