RANCHI: रांची में हुए जमीन घोटाले में पश्चिम बंगाल के रजिस्ट्री कार्यालय और अधिकारियों का नाम इडी की जांच में सामने आया है। इसके बाद वहां हुई जांच में कोलकाता भूमि निबंधन कार्यालय में भूमि के दस्तावेजों में गड़बड़ी किए जाने के कई मामले सामने आए हैं। जिसमें रांची से जुड़ी जमीन का भी मामला शामिल है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बंगाल सरकार ने इस मामले में अज्ञात लोगों के विरुद्ध मामले दर्ज कराए हैं।
दस्तावेज की फॉरेंसिक जांच
इडी ने दस्तावेज में जालसाजी कर जमीन की खरीद बिक्री के मामले में बड़गाई अंचल वह कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय में सर्वे किया था। पीएमएलए की धारा 17 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इडी ने दोनों कार्यालय से सेना के कब्जेवाली जमीन और चेशायर होम रोड की जमीन के मूल दस्तावेज कोलकाता कार्यालय से जब्त किए थे।
न्यायालय के आदेश के आलोक में दस्तावेज की फॉरेंसिक जांच कराई गई थी। इसमें दस्तावेज में छेड़छाड़ करने की पुष्टि हो चुकी है। जालसाजों ने वर्ष 1932 के मूल दस्तावेज में जालसाजी कर इससे भूखंड की बंदरबांट की है। इसमें जमीन के मालिक के पते में पश्चिम बंगाल के साथ ही पिनकोड का उल्लेख किया गया था। लेकिन वर्ष 1932 में पश्चिम बंगाल राज्य था ही नहीं। भारतीय डाक प्रणाली में पिनकोड भी 1972 में लागू किया गया।
आईजी रजिस्ट्रेशन को दी गई जानकारी
फॉरेंसिक जांच में मिले तथ्यों की जानकारी इडी ने कोलकाता के रजिस्ट्रार को दी थी। इसके बाद इडी ने कोलकाता के सब रजिस्टार प्रदीप मिश्रा को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के दौरान उन्होंने यह स्वीकार किया की दस्तावेज में जालसाजी की जानकारी आईजी रजिस्ट्रेशन को दे दी गई थी। लेकिन उन्होंने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई। पूछताछ के बाद कोलकाता लौटने के बाद प्रदीप मिश्रा व अन्य अधिकारियों ने इडी द्वारा दी गई सूचना के आधार पर आगे की जांच की और प्राथमिकी दर्ज कराई।