27 साल पुराने चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले में रांची सीबीआई की विशेष कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। अवैध निकासी मामले में कुल 124 आरोपियों में से 52 को तीन साल तक की सजा हुई है। 37 अन्य को तीन साल से अधिक की सजा सुनाई गई। वहीं 35 लोगों को रिहा कर दिया गया। तीन साल से अधिक सजा पाने वाले सभी 37 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। अब इनकी सजा पर एक सितंबर को सुनवाई होगी। बता दें कि 21 जुलाई को इस केस से जुड़े सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बरी हुए प्रमुख लोग
सीबीआई की विशेष अदालत से बरी होने वालों एनुल हक, राजेंद्र पांडेय, राम सेवक साहू, दीनानाथ सहाय, साकेत, हरीश खन्ना, कैलाश मनी कश्यप बरी, बलदेव साहू, सिद्धार्थ कुमार, निर्मला प्रसाद, अनीता कुमारी, एकराम, मो हुसैन, सनाउल हक, सैरु निशा, चंचला सिन्हा, ज्योति कक्कड़, सरस्वती देवी, रामावतार सिन्हा, रीमा बड़ाईक और मधु पाठक का नाम शामिल है। न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट में सभी आरोपियों को सशरीर पेश होने के लिए कहा गया था। इस मामले में सीबीआई ने कोर्ट के समक्ष 500 से ज्यादा गवाहों को पेश किया।
लालू यादव को पहले ही हो चुकी है सजा
बता दें कि 124 आरोपियों में लालू यादव का नाम शामिल नहीं है। क्योंकि इससे पूर्व चाईबासा, देवघर और दुमका मामले में फैसला सुनाया जा चुका है। जिसमें लालू यादव समेत कई दोषियों को सजा सुनाई जा चुकी है। सीबीआई की तरफ से चारा घोटाला में 66 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें छह मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को भी अभियुक्त बनाया गया था। वहीं अन्य सभी मामलों में कई पशु चिकित्सक के साथ-साथ सीनियर आईएएस अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। आज कोर्ट ने जिन लोगों को सजा सुनाई उनमें कई ऐसे रिटायर्ड पदाधिकारी भी हैं, जिनकी उम्र करीब 85 से 95 वर्ष है। चारा घोटाला 90 के दशक का देश के सबसे बड़े घोटाले के रूप में देखा जाता है।
डोरंडा कोषागार से 36.26 करोड़ के अवैध निकासी मामले में सजा
डोरंडा कोषागार से 36.26 करोड़ की अवैध निकासी से जुड़े मामले में तत्कालीन आपूर्तिकर्ता एवं पूर्व विधायक गुलशन लाल अजमानी समेत 124 आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे। घोटाला तब हुआ था जब संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हुआ करते थे। यह घोटाला साल 1990 से 1995 के बीच हुआ था। इसी को लेकर RC 48A/96 केस दर्ज किया गया था। चारा घोटाला मामले में 45 लोक सेवक व 9 महिला आरोपी भी शामिल हैं। ट्रायल के दौरान 62 आरोपियों का निधन हो चुका है। इस केस में 38 लोक सेवक समेत 124 आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे। जिनमें 16 महिलाएं भी शामिल हैं।