JAMSHEDPUR : जमशेदपुर में रक्षाबंधन पर राखियों का बाजार गर्म है। लेकिन इस बार एक राखी खास है। यह राखी अन्य राखियों से बिलकुल अलग है। जो न केवल रिश्तों की डोर को मजबूत करेगी। बल्कि इस्तेमाल के बाद पॉल्यूशन भी नहीं फैलाएगी। जी हां, जमशेदपुर में गाय के गोबर में बीज मिलाकर रक्षासूत्र बनाए जा रहे हैं। इससे भाई-बहन के प्यार के साथ एक हरा-भरा पौधा भी लहलहाएगा। शहर के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने ईको फ्रेंडली राखियां बनाकर अनूठी पहल की है। सीमा पांडे ने बताया कि इस स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गाय के गोबर में तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ, किनोवा व अन्य बीज पिरोकर रक्षासूत्र बना रही हैं। संदेश साफ है कि राखियों को पेड़ों के नीचे रखने के बजाय पौधा ही बना दिया जाए। उन्होंने बताया कि राखियों को गोगा नवमी के दिन गमले में डालकर पौधा अंकुरित किया जा सकता है। इन राखियों को देशभर में भेजा गया है।
तुलसी, अश्वगंधा का बीज डाला
यह राखियां पूरी तरह से गाय के गोबर से बनाई गई है और इको फ्रेंडली है। आजकल बाजार में बिकने वाली प्लास्टिक और अन्य तरह की राखियां वातावरण को प्रदूषित करती है और रक्षाबंधन के बाद कूड़े का कारण भी बनती है। लेकिन सदस्यों ने बताया कि गाय के गोबर से बनी इन राखियों में तुलसी के बीज भी डाले गए हैं। रक्षाबंधन के बाद जब यह राखियां उपयोग में नहीं रहेगी तो इन्हें आप गमले में डाल सकते हैं। जिसमें यह मिट्टी के साथ घुल जाएगी और कछ समय बाद तुलसी का बीज होने की वजह से एक तुलसी का पौधा उग आएगा। उन्होंने बताया कि इन राखियों की कीमत मात्र 25 से 30 रुपए है। जमशेदपुर शहर नगर के साथ शहर के कई स्थानों पर ऐसी राखियों के लिए स्टॉल लगाई गई है। इतना ही नहीं ये राखियां दिल्ली,हैदराबाद, कोलकाता जैसी महानगरों में भेजी गई है।