बोकारो स्टील प्लांट के अंदर ऑक्सीजन प्लांट के पास निर्माणाधीन पिलर के गिर जाने से एक मज़दूर की मौत हो गई। ऑक्सीजन प्लांट में सिमन्स ठेका कम्पनी को निर्माण का काम मिला है। सिमन्स कम्पनी ने इस काम अपने पेटी ठेका कम्पनी आर के ब्रदर कोड़े दिया। यही कम्पनी यहां निर्माण का काम कर रही है। यह दुर्घटना करीब 1 से डेढ़ बजे के बीच की है। जब 56 वर्षीय सतीश महतो उचाई पर चढ़कर काम कर रहे थे तभी निर्माणाधीन पिलर भरभरा कर गिर गया। हादसे के बाद स्थानीय मज़दूरों ने उसे पहले तो प्लांट मेडिकल यूनिट ले गए लेकिन मज़दूर की गम्भीर स्थिति देख उसे बोकारो जेनरल अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
लोग ठेकेदार को आवाज़ देते रहे, लेकिन नहीं सुने
दुर्घटना में भले ही मज़दूर की जान चली गई हो लेकिन ठेकेदार को इससे कोई फर्क नही पड़ता कि किसी का मांग सूनी हुई हो या किसी बेटे के सिर से बाप का साया सीन गया। ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योकि ठेकेदार साहब अस्पताल पहुंचे जरूर लेकिन मज़दूर की मौत की खबर लगते ही वहां से खिसक लिए। जबकि लोग उन्हें आवाज़ देते रहे, लेकिन वह नहीं सुने। क्योंकि मीडिया भी वही न्यूज़ कवर कर रही थी। जब मीडिया उनके पास गई तो आरके ब्रदर्स के लोग बोलने लगे कि हम लोग यहां पर घूमने आए हैं और कोई मजदूर मेरे यहां नहीं काम करता था। ये बात बोलते बोलते गाड़ी चालू कर बोकारो जेनरल अस्पताल से भाग खरे हुए। बोकारो स्टील प्लांट में लगातार सेफ्टी नियमों की धज़्ज़िया खुलेआम उड़ाई जाती है। पिंड्राजोड़ा निवासी 56 वर्षीय सतीश की मौत भी उसीका नतीजा है।
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मौत के खबर के बाद मज़दूरों में आक्रोश
इधर मज़दूर की मौत के खबर के बाद जहां मज़दूरों में आक्रोश है, वहीं मृतक के परिजनों का अस्पताल में रोते बिलखते नज़र आ रहे है। मज़दूर मृतक के आश्रित के लिए नियोजन की मांग कर रहे है। कल सतीश की मौत को सब भूल जाएंगे और सबकुछ सामान्य हो जाएगा। लेकिन एक सवाल सामने जरूर रहेगा कि आखिर कब थमेगा मज़दूरों के मौत का सिलसिला। बीएसएल के अधिकारी क्यों मौन है।